बुधवार, अक्टूबर 30, 2024

शासकीय भूमि का संरक्षण: अजीत वसंत का अतिक्रमण रोकने के लिए कड़ा निर्देश!

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एनओसी के लिए प्रमाण पत्र में अतिक्रमण-मुक्त होने की पुष्टि जरूरी

कोरबा (आदिनिवासी)। कलेक्टर अजीत वसंत ने जिले की शासकीय भूमि पर अतिक्रमण रोकने के उद्देश्य से एक सख्त कदम उठाया है। उन्होंने सभी एसडीएम और तहसीलदारों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, या उद्योग स्थापना जैसी किसी भी प्रकार की गतिविधियों के लिए जब कोई निजी संस्था या व्यक्ति अनापत्ति प्रमाण पत्र या अभिमत प्राप्त करे, तो उस प्रमाण पत्र में यह सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित संस्था या व्यक्ति द्वारा शासकीय भूमि पर कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है।

यह निर्णय कलेक्टर के समक्ष बार-बार आ रही अतिक्रमण की शिकायतों को देखते हुए लिया गया है। जनचौपाल और अन्य जनसुनवाई कार्यक्रमों में कलेक्टर को अक्सर यह शिकायत मिलती है कि जिले में शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। इन शिकायतों के मद्देनज़र, उन्होंने राजस्व विभाग की बैठकों और समय सीमा निर्धारित कर, एसडीएम और तहसीलदारों को अतिक्रमण रोकने के कड़े निर्देश दिए हैं।

कलेक्टर वसंत का यह कदम न सिर्फ सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उन लोगों के लिए एक सख्त संदेश भी है जो शासकीय भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही, यह कदम समाज में एक जागरूकता भी लाएगा कि शासकीय भूमि का दुरुपयोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस निर्देश के बाद अब हर संस्था या व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उन्होंने किसी भी शासकीय भूमि पर अतिक्रमण नहीं किया है, जिससे अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना भी उनके लिए एक जिम्मेदारी भरा कार्य हो जाएगा। इस कदम से न केवल सरकारी भूमि की सुरक्षा होगी, बल्कि नए उद्योगों और व्यापारिक गतिविधियों के दौरान स्वच्छ और कानून-सम्मत प्रक्रिया का पालन भी सुनिश्चित किया जाएगा।

यह निर्णय सरकारी संपत्तियों के अतिक्रमण को रोकने के प्रयासों का हिस्सा है और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने का एक सकारात्मक कदम है। इस कदम से भविष्य में शासकीय भूमि से जुड़ी विवादित स्थिति कम होने की संभावना है, जो कानून के शासन और न्याय की भावना को प्रबल करेगा। कलेक्टर द्वारा दिया गया यह निर्देश न्यायसंगत, प्रभावी और व्यावहारिक है, जो जिले की प्रशासनिक प्रणाली में अनुशासन और समर्पण को बढ़ावा देगा।

अंततः, यह प्रयास न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से आवश्यक है, बल्कि समाज के हर नागरिक के लिए एक नैतिक संदेश भी है कि शासकीय संपत्ति का संरक्षण सबकी जिम्मेदारी है।

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