नई दिल्ली (आदिनिवासी)। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा प्रख्यात लेखिका अरुंधति रॉय और शिक्षाविद शेख शौकत हुसैन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) लगाने की कड़ी आलोचना की है। एसकेएम का कहना है कि मोदी सरकार एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला कर रही है।
मुख्य बिंदु:-
1. दिल्ली के उपराज्यपाल ने 14 जून को 2010 की एक FIR पर कार्रवाई की अनुमति दी।
2. रॉय पर कश्मीर के संदर्भ में कथित ‘अलगाववादी भाषण’ का आरोप है।
3. हुसैन के मामले में कोई विशिष्ट आरोप नहीं बताया गया।
4. पिछले 14 वर्षों में कथित भाषण से जुड़ी कोई हिंसक घटना नहीं हुई।
5. एसकेएम का आरोप है कि सरकार असहमति को दबाने की कोशिश कर रही है।
एसकेएम ने UAPA जैसे कठोर कानूनों की आलोचना करते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। मोर्चे ने UAPA के तहत बंद सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई और इस कानून को समाप्त करने की मांग की है।
अरुंधति रॉय पर कश्मीर के बारे में ‘अलगाववादी भाषण’ देने का आरोप लगाया गया है, जबकि डॉ. हुसैन के मामले में ऐसा कोई बयान उपलब्ध नहीं है। पिछले 14 वर्षों में, उनके भाषण से जुड़ी कोई हिंसा की घटना भी नहीं हुई है। रॉय के भाषण में उन्होंने कश्मीर, पूर्वोत्तर और मध्य भारत में लोकतंत्र की कमी की ओर इशारा किया और न्याय की मांग की थी। यह एक सच्चे लोकतंत्र की स्थापना का आह्वान था।
हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति कमजोर होने के बावजूद, रॉय और हुसैन के खिलाफ यूएपीए का इस्तेमाल दिखाता है कि सरकार असहमति को ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार देकर दबाने की अपनी नीति जारी रखे हुए है। भीमा-कोरेगांव मामले में 16 बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को झूठे आरोपों में फंसाया गया, और छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद व शरजील इमाम भी लंबे समय से जेल में हैं। पिछले साल न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को भी यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्रोफेसर जी एन साईबाबा को यूएपीए के तहत 10 साल जेल में बिताने के बाद बरी किया गया, लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया और संबंधित अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कहा था कि लोकतंत्र में विपक्ष को विरोधी नहीं समझा जाना चाहिए और उनके विचारों का सम्मान होना चाहिए, लेकिन रॉय और हुसैन की गिरफ्तारी पर आरएसएस की खामोशी इस कथन की सच्चाई पर सवाल खड़े करती है।
एसकेएम का मानना है कि यूएपीए असंवैधानिक है और इसे तुरंत खत्म किया जाना चाहिए। एसकेएम ने सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की है और यूएपीए के उन्मूलन की जोरदार अपील की है। एसकेएम अरुंधति रॉय और डॉ. शेख शौकत हुसैन के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़ा है।