आरोपियों पर कार्रवाई तो दूर, एफ.आई.आर.तक दर्ज़ नहीं
कोरबा (आदिनिवासी)। फर्जी जाति प्रमाण पत्र का एक चर्चित मामला कोरबा जिले में भी वर्षों से लंबित पड़ा है। फर्जी आदिवासी बनकर बिना किसी राजस्व प्रकरण के ही जाति प्रमाण पत्र जारी करवाकर इसके सहारे करोड़ों की जमीन और मुआवजा घोटाले को अंजाम दिया गया है। किंतु खेद जनक बात है कि आज तक उन आरोपियों पर कोई भी सख्त कार्यवाही तय नहीं हो पाई है। और जो सरकारी नुमाइंदे हैं जिन्होंने अपने कर्तव्य के विरुद्ध जाकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है, उन पर जांच और कार्यवाही के नाम पर अधिकारी केवल टरकाते जा रहे हैं। जिसकी वजह से सरकार की छवि भी खराब हो रही है।
ज्ञात हो कि उक्त फर्जी प्रमाण पत्र का मामला दीपका में संचालित आर्यन कोल बेनिफिकेशन (ABC) कंपनी को बेजा लाभ दिलाने से सीधे तौर पर जुड़ा है। कंपनी के द्वारा अपने 23 बाहरी मजदूरों के नाम से फर्जी आदिवासी के जाति प्रमाण पत्र बनवाये गए जो कटघोरा तहसील से जारी हुए हैं। इसके बाद इन फर्जी आदिवासियों के नाम असली आदिवासियों की जमीन खरीदकर 40 करोड़ रुपया रेल कॉरिडोर का मुआवजा प्राप्त किया गया। इसके अलावा इन्ही के नाम से लगभग 500 एकड़ एकड़ ज़मीन लेकर/काबिज होकर उस पर उद्योग संबंधी निर्माण कराया।
इसकी प्रमाण सहित शिकायत के बाद वर्ष 2022 में ज़िला स्तरीय जाति सत्यापन समिति ने जांच कर उक्त सभी फर्जी जाति प्रमाण पत्रों को निलंबित किया लेकिन बर्खास्त करने की कार्यवाही आज तक लंबित है। इसके साथ ही कटघोरा तहसील से उक्त 23 लोगों के जाति प्रमाण पत्र संबंधी राजस्व प्रकरण के दस्तावेज भी ग़ायब हैं। इस मामले में संलिप्त राजस्व अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्यवाही तो दूर एफआईआर तक नहीं कराई गई है। इतने बड़े मामले और फर्जीवाड़ा में कोई सख़्त कार्यवाही का ना होना, इस तरह की कारस्तानी को अंजाम देने वालों के मनोबल को बढ़ाने वाला ही साबित हो रहा है।