आंदोलन को एसईसीएल गेवरा इंटक ने दिया समर्थन
कोरबा/दीपका (आदिनिवासी)। ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति द्वारा एसईसीएल की गेवरा मुख्यालय के सामने चलाये जा धरना प्रदर्शन को आज 28 दिन पूरे हो चुके हैं । इस बीच भुविस्थापितों द्वारा अपनी मांगों को लेकर गेटजाम , ओबी बन्द पुतला जलाने जैसी कार्यवाहियो के जरिये एसईसीएल प्रबन्धन पर आक्रामक दबाव बनाया जिसके कारण अभी तक एक एक कर कई महत्वपूर्ण फैसले सामने आ चुके हैं ।
पिछले 31 मई से ऊर्जाधानी संगठन को ओर से रैखिक सबन्ध, अर्जन के बाद जन्म, अलग अलग समय मे अधिग्रहण पर लम्बित रोजगार , नए रोजगार देने में विलंब , बसाहट और मुआवजे के साथ साथ पुनर्वास ग्रामो का समुचित विकास कार्य ,जिला खनिज निधि के बन्दरबांट पर रोक लगाकर प्रत्यक्ष प्रभावित ग्रामो में शिक्षा स्वास्थ रोजगार पर खर्च जैसी मांगो पर आक्रोश रैली और प्रदर्शन के साथ एसईसीएल की गेवरा मुख्यालय के सामने धरना प्रदर्शन शुरू किया गया है ।
ऊर्जाधानी संगठन का आरोप है कि देश की विकास के नाम पर किसानों के साथ विश्वासघात किया गया है । गेवरा ,दीपका, कुसमुंडा और कोरबा क्षेत्र के विभिन्न कोयला खदानों के लिए हजारों किसानों की जमीन अर्जित किया गया है, भविष्य में भी और भी विस्तार किया जाएगा । जिसके कारण कई गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है । 60 वर्ष पूर्व से देश के विकास की आहुति की भेंट चढ़े विस्थापित प्रभावित परिवार जिसमे प्रमुख रूप से वनों के रक्षक आदिवासी -मूलनिवासियो का विकास के बजाय विनाश ही हुआ है । प्रबन्धन एवं सरकार की नीतियों के कारण हमारे भूविस्थापितों किसानों में एसईसीएल के प्रति नकारत्मक छवि बन चुकी है । यही कारण है कि दशकों से लगातार आन्दोलनात्मक संघर्षो का द्वंद चल रहा है । जिला प्रशासन के साथ वार्ता व निर्देशों का पालन करने में एसईसीएल प्रबन्धन द्वारा नियमो का हवाला देकर भूविस्थापितों की मांगों को पूरा करने में असमर्थता जाहिर करते आयी है ।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष अपने 21 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार खदानबन्दी आंदोलन एवं तीन महीने की खदान मुहाने पर बैठकर की गई आंदोलन के बाद नवम्बर 2021 को एसईसीएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, अन्य वरिष्ठ अधिकारियों एवं जिला कलेक्टर जी , विधायक द्वय कटघोरा एवं पाली तानखार की उपस्थिति में एवं 17 फरवरी 2022 को हुई समीक्षा बैठक में तीन महीने का समय देते हुए समस्याओ का निराकरण करने का निर्देश कलेक्टर महोदया द्वारा जारी किया गया था । किंतु एसईसीएल एवं तहसील कार्यालयों में भूविस्थापितों की समस्याओ को उलझा कर रख दिया गया है और लोंगो को यहां से वहाँ भटकना पड़ रहा है । इसलिए मजबूरीवश आंदोलन के रास्ते पर जाने के अलावा कोई विकल्प नही है ।ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले चलाये जा रहे इस आंदोलन की प्रमुख मांगो में कहा गया है कि भूविस्थापितों की समस्त समस्याओ को विस्तार से सामने रखते हुए निर्णय लिया गया था तथा कलेक्टर कोरबा द्वारा जारी निर्देश के अनुसार तत्काल भूविस्थापितों की समस्याओं को निराकृत किया जाना है किंतु कार्यवाही में हो रही देरी स्वीकार नही करते हुए आंदोलन का विस्तार किया जा रहा है ताकि भूविस्थापितों की अधिकार को शतप्रतिशत दिलाई जा सके ।
एसईसीएल इंटक ने ऊर्जाधानी सन्गठन के आंदोलन को दिया समर्थन
श्रमिक सन्गठन इंटक के क्षेत्रीय नेता व महामंत्री डी के मिश्रा और गोपाल यादव ने धरना स्थल पर पहुंचकर आंदोलन का समर्थन करते हुए भूविस्थापितों की मांगों को तत्काल निराकृत करने की मांग किया है । इंटक नेताओ ने कहा कि ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ही एकमात्र ईमानदार सन्गठन है जो भूविस्थापितों की समस्याओ को लेकर सँघर्ष कर रही है दूसरे सन्गठन ठेकेदारों के समर्थन से भूविस्थापितों को केवल नौकर बनाकर रखने की नीयत से गुमराह कर रही है । उन्होंने कहा है कि वो खुद भी भूविस्थापित हैं अपनी जमीन खोने की पीड़ा को समझते हैं ।
आज के आंदोलन के दौरान जनप्रतिनिधि ढुरेना सरपंच नोनी बाई कंवर, जनपद सदस्य अनिल टंडन ,सुभद्रा कंवर , संगठन के पदाधिकारी श्यामू जायसवाल , ललित महिलांगे , अनूप मरावी गणेश सिंह ऊईके केशी कंवर रामप्यारी ध्रुव धर्म कुमार पीली बाई यशोदा श्रीवास अनीता बाई नानी बाई कुसुम कंवर प्रभात पोर्ते बसंत कोर्राम फिरत कुसेंगर केशव नारायण, अनसुइया राठौर , नरेंद्र राठौर , राहुल जायसवाल वीर सिंह , संजू कंवर , महेंद्र पटेल , अशोक साहू , फूलेन्द्र सिंह दयाराम सोनी दीपेश सोनी काशीनाथ विद्याधर सुभद्रा कंवर वीर सिंह कंवर संजू कंवर एवं अनेक भूविस्थापित उपस्थित थे ।