कोरबा (आदिनिवासी)। एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र के भूविस्थापितों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण और सभी खातेदारों को रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा मुख्यालय के मुख्य द्वार पर तालाबंदी कर जोरदार प्रदर्शन किया। लगभग 5 घंटे तक चले इस प्रदर्शन के दौरान भूविस्थापितों ने मुख्यालय के मुख्य द्वार को बंद कर नारेबाजी की। इस दौरान एसईसीएल के किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को कार्यालय के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया, जिससे प्रबंधन और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।
भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के बेनर तले 1045 दिनों से चल रहे इस आंदोलन को छत्तीसगढ़ किसान सभा का समर्थन प्राप्त है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जमीन के बदले सभी खातेदारों को रोजगार दिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं की गई तो खदान को पूरी तरह बंद करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
14 सितंबर को अधिकारियों के साथ बैठक में समाधान का आश्वासन
प्रदर्शन के बाद एसईसीएल के अधिकारियों ने प्रतिनिधि मंडल को कुसमुंडा हाउस में चर्चा के लिए बुलाया। बैठक में 14 सितंबर को बिलासपुर के अधिकारियों के साथ लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण के लिए प्रत्येक फाइल पर चर्चा करने और जल्द समाधान का लिखित आश्वासन दिया गया। बैठक में कुसमुंडा महाप्रबंधक राजीव सिंह ने कहा कि सभी लंबित प्रकरणों पर चर्चा कर 10 दिनों के अंदर उचित कार्रवाई की जाएगी।
किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने बैठक में कहा कि एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित जमीनों के सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार दिया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि विकास परियोजनाओं के नाम पर गरीबों को झूठे सपने दिखाकर करोड़ों लोगों को विस्थापित कर दिया गया है, और आज भी ये परिवार अपने पुनर्वास और रोजगार के लिए भटक रहे हैं।
1978 से 2004 के बीच अधिग्रहित जमीनें, रोजगार का इंतजार
भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के सदस्य दामोदर श्याम, रेशम यादव, रघु यादव, और सुमेंद्र सिंह ने बताया कि 1978 से 2004 के बीच कोयला खनन के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों के बदले आज तक विस्थापित ग्रामीणों को न तो रोजगार मिला है और न ही पुनर्वास। ऐसे प्रभावितों की संख्या सैकड़ों में है, और उन्हें अब तक न्याय नहीं मिल पाया है।
आंदोलन को तेज करने की तैयारी
विस्थापितों ने ऐलान किया है कि अगर 10 दिनों के भीतर उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो खदान बंद कर दी जाएगी। प्रदर्शन में किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, भूविस्थापित अमृत बाई, अनिल बिंझवार, रघुनंदन, नरेश, कृष्ण कुमार, होरीलाल, सुमेंद्र सिंह, अनिरुद्ध, हरिशरण, विजय, उत्तम, जितेंद्र, गणेश, मानिक दास समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल थे।
भू विस्थापितों के संघर्ष और उनकी मांगों की यह आवाज अब और बुलंद हो रही है, और वे अपनी जमीन के बदले रोजगार पाने के अपने हक के लिए अंतिम संघर्ष की तैयारी कर रहे हैं। सरकार और एसईसीएल के लिए यह जरूरी है कि वे इन लोगों की मांगों को गंभीरता से लेकर जल्द समाधान करें, ताकि वर्षों से भटक रहे इन परिवारों को उनका हक मिल सके।