किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने भी खदान में घुस कर रोका विस्तार कार्य मे लगे वाहनों को
रोजगार की मांग पर भू विस्थापित किसानों का आंदोलन 176 वें दिन भी जारी
कोरबा (आदिनिवासी)। कुसमुंडा क्षेत्र के भूविस्थापित किसान भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के बेनर तले 1 नवंबर से जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है। 176 दिन से चल रहे आंदोलन के दौरान भू विस्थापितों ने 4 बार खदान को 30 घंटे से भी ज्यादे समय तक बंद रखा और इस बीच आंदोलन कर रहे 16 लोगों को जेल भी भेजा गया लेकिन भू विस्थापित इस बार रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखने की बात पर अड़े हुए हैं।
रोजगार की मांग को लेकर भू विस्थापितों के साथ छत्तीसगढ़ किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने कुसमुंडा खदान में घुसकर 11 घंटे तक खदान विस्तार का कार्य को रोका रखा तब एसईसीएल के अधिकारियों ने आंदोलन स्थल पहुँचकर प्रदर्शनकारियों को जानकारी दी कि 14 भूविस्थापितों की फाईल बिलासपुर भेजी गई है 1 मई तक कुछ लोगों को रोजगार मिल जाएगा और जल्द सभी भू विस्थापितों को रोजगार मिल जाएगा लेकिन भू विस्थापितों को एसईसीएल प्रबंधन पर विश्वास नहीं है और भूविस्थापितों ने 11 घंटे काम रोके रखा और आगे भी आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है।
भू विस्थापितों संघ के सचिव दामोदर श्याम ने कहा कि 1 मई तक सभी भू विस्थापितों को रोजगार नहीं मिलने पर खदान विस्तार के कार्य को अनिश्चितकालीन बंद किया जायेगा। आंदोलन स्थल में बड़ी संख्या में पुलिस बल उपस्थित थी।
भूविस्थापितों के नेता दामोदर श्याम ने कहा कि एसईसीएल रोजगार देने के अपने वायदे के प्रति गंभीर नहीं है प्रबंधन भू विस्थापितों को गुमराह कर आपस में लड़ाना चाहता है जिसमे अधिकारी कभी कामयाब नहीं होंगे भूविस्थापित जमीन के बदले रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे।
किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि विकास परियोजना के नाम पर गरीबों को सपने दिखा कर करोड़ो लोगों को विस्थापित किया गया है अपने पुनर्वास और रोजगार के लिए भू विस्थापित परिवार आज भी भटक रहे हैं। दमन के आगे संघर्ष तेज करने के संकल्प के साथ आंदोलन जारी रखने का संकल्प भी भूविस्थापितों ने लिया। किसान सभा भूविस्थापितों के आंदोलन के साथ शुरू से खड़ी है और रोजगार मिलने तक साथ रहेगी।
किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा कि 1978 से लेकर 2004 के मध्य कोयला खनन के लिए अधिग्रहित किया गया है लेकिन तब से अब तक विस्थापित ग्रामीणों को न रोजगार दिया गया है न पुनर्वास ऐसे प्रभावितों की संख्या हजारों में है वे लंबे समय से रोजगार के लिए आंदोलनरत है जबकि एसईसीएल प्रबंधन उन्हें रोजगार देने में आना कानी कर रही है एसईसीएल प्रशासन की संवेदनशीलता के कारण ही विस्थापित बेरोजगारों का आंदोलन इतने चरम पर पहुँचा है। रोजगार नहीं मिलने पर संघर्ष और तेज होगा।
खदान विस्तार को रोकने में प्रमुख रूप से प्रशांत झा,जवाहर सिंह कंवर,दीपक साहू,राधेश्याम कश्यप,जय कौशिक,दामोदर श्याम,गणेश प्रभु,मोहनलाल यादव, बलराम कश्यप, अमरपाल, बजरंग सोनी, बृजमोहन, अशोक मिश्रा, बेद राम, हेमन प्रसाद, रघुनंदन, रघु, अनिल, पंकज, किरण, नागेश्वर, नरेंद्र यादव, नरेश, उत्तम के साथ बड़ीसंख्या में भू विस्थापित उपस्थित थे।