नए कलेक्टर से मिले आदिवासी प्रतिनिधि, भूमि हड़पने की शिकायत के साथ सुरक्षा की गुहार
बिलासपुर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल देखने को मिली है। जिले के संयुक्त आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने नव नियुक्त जिला कलेक्टर संजय अग्रवाल से सौजन्य भेंट की और आदिवासी भूमि से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा की मांग की है।
कलेक्टर से आत्मीय मुलाकात
आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर श्री अग्रवाल का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। इस मुलाकात में कलेक्टर ने अत्यंत सहजता और आत्मीयता दिखाई। उन्होंने विशेष रूप से आदिवासी बच्चों की शिक्षा के बारे में जानकारी ली और अति पिछड़ी बैगा एवं बिरहोर जनजाति के कल्याण के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान की जानकारी भी साझा की।
भूमि विवाद का गंभीर मामला
छत्तीसगढ़ गोंडवाना गोंड महासभा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रमेश चंद्र श्याम ने एक चिंताजनक मामले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंकित ध्रुव द्वारा अपनी 1.29 एकड़ खमतराई भूमि को गैर-आदिवासी ब्रिज कुमार साहू को बेचने की अनुमति के लिए आवेदन दिया गया है।
गोंडवाना महासभा की ओर से इस प्रकरण में बेनामी संपत्ति की आशंका व्यक्त करते हुए आपत्ति दर्ज कराई गई है। यह मामला वर्तमान में तहसीलदार बिलासपुर की अदालत में विचाराधीन है।
धमकी और भयादोहन का मामला
इस प्रकरण में सबसे चिंताजनक बात यह है कि ब्रिज कुमार साहू ने अपने साथियों के साथ मिलकर श्री श्याम को उनके निवास पर जाकर धमकी दी है। उन्हें आपत्ति वापस लेने के लिए कहा गया है, अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई है।
यह घटना आदिवासी समुदाय के अधिकारों पर हो रहे हमले को दर्शाती है और इससे पता चलता है कि किस प्रकार भूमि माफिया आदिवासियों पर दबाव डालकर उनकी पैतृक संपत्ति हड़पने की कोशिश कर रहे हैं।

व्यापक प्रतिनिधित्व
इस प्रतिनिधि मंडल में विभिन्न आदिवासी समुदायों के नेता शामिल हुए। गोंड समाज, बिंझवार समाज, कंवर समाज, खैरवार समाज और संवरा समाज के प्रतिनिधियों ने मिलकर एक मजबूत आवाज़ उठाई है। इसमें छेदीलाल नेताम, भूपेंद्र सिंह मरकाम, दीपक कुमार मरकाम, परमेश्वर कुमार बिंझवार, देव कुमार बिरको, अनिल ध्रुव सहित कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व शामिल रहे।
कलेक्टर की सकारात्मक प्रतिक्रिया
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने आदिवासी समुदाय के मुद्दों पर अलग से बैठक की मांग को तुरंत स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि यदि कोई तत्काल समाधान वाला मुद्दा हो तो उसे जरूर बताया जाए। इससे पता चलता है कि नए कलेक्टर आदिवासी समुदाय की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हैं।
आदिवासी अधिकारों की चुनौती
यह घटना केवल एक स्थानीय विवाद नहीं है, बल्कि यह व्यापक सामाजिक न्याय का मुद्दा है। आदिवासी समुदाय की पैतृक भूमि पर बाहरी तत्वों के दबाव और धमकी का यह मामला दिखाता है कि किस प्रकार कमजोर वर्गों का शोषण किया जा रहा है।
न्याय की उम्मीद
आदिवासी समुदाय के नेताओं द्वारा कलेक्टर को दिया गया लिखित आवेदन इस बात का प्रमाण है कि वे कानूनी रास्ते से अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। उनकी एकजुटता और संगठित प्रयास से उम्मीद की जा सकती है कि न्याय मिलेगा।
बिलासपुर में आदिवासी समुदाय का यह संगठित प्रयास दिखाता है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं। नए कलेक्टर की सकारात्मक प्रतिक्रिया से उम्मीद बंधती है कि आदिवासी भूमि और अधिकारों की रक्षा हो सकेगी। यह मामला न केवल बिलासपुर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक मिसाल बन सकता है।