मंगलवार, सितम्बर 10, 2024

वेदांता बालको ने बंद की चोटिया कोयला खदान: नई नीलामी के बाद होगा संचालन!

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कोरबा (आदिनिवासी)। कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के अंतर्गत स्थित चोटिया में बालको वेदांता द्वारा संचालित कोयला खदान अब बंद हो गई है। खदान में कोयला खनन समाप्त होने के बाद, अब इसे सरेंडर करने की प्रक्रिया जारी है। इस प्रक्रिया के तहत बालको प्रबंधन विभिन्न संबंधित विभागों में डिस्क्लोजर आवेदन दे रहा है। प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि खदान की सरेंडर प्रक्रिया जारी है और आगे से यहां किसी भी तरह की कोयला संबंधी गतिविधियों या अवैध गतिविधियों के लिए बालको प्रबंधन जिम्मेदार नहीं होगा। आगामी नीलामी में कोल ब्लॉक का नया आबंटन होगा, और नए आबंटनकर्ता द्वारा खदान का संचालन किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, ग्राम सलईगोट में स्थित चोटिया-2 कोल माइंस में बालको प्रबंधन द्वारा निर्धारित मात्रा में कोयला उत्खनन पूरा कर लिया गया है। अब पूरी मात्रा निकालने के बाद, सरकार को पत्र लिखकर खदान को विधिवत सरेंडर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगले चरण में तीसरी बार नीलामी होगी। जानकार बताते हैं कि खनन क्षेत्र नदी के करीब आ जाने के कारण अब अगले चरण में भूमिगत खदान से कोयला निकाला जाएगा। प्रबंधन ने खनिज विभाग, वन विभाग समेत सभी संबंधित विभागों को डिस्क्लोजर आवेदन प्रस्तुत किया है। हालांकि, खदान में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है।

यह उल्लेखनीय है कि बालको को एल्युमिनियम उत्पादन और उत्पादों के निर्माण के लिए बिजली की जरूरतों को पूरा करने हेतु 600 मेगावॉट के कैप्टिव पावर प्लांट के लिए चोटिया-1 और चोटिया-2 कोल ब्लॉक आवंटित किए गए थे। शुरुआत में यह ब्लॉक प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड (पीआईएल) चाम्पा को आबंटित था। वर्ष 2003 से चोटिया कोल ब्लॉक पीआईएल के पास था, लेकिन मार्च 2015 में बालको वेदांता समूह ने सर्वोच्च बोली लगाकर चोटिया कोल ब्लॉक अपने नाम कर लिया। कुछ कानूनी अड़चनों को दूर करने के बाद, 2018 में बालको ने चोटिया-2 से खनन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति और अन्य आवश्यक अनुमति प्राप्त की और उत्खनन कार्य प्रारंभ किया।

इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि बालको वेदांता ने खदान सरेंडर की प्रक्रिया को पारदर्शी और कानूनी तरीके से अंजाम दिया है। आगे के कोयला खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया की निष्पक्षता और पर्यावरण सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नीलामी के बाद खनन कार्य का संचालन पर्यावरणीय मानकों के अनुसार हो और स्थानीय समुदायों के हितों की रक्षा की जाए।


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