मंगलवार, अक्टूबर 29, 2024

गोंड आदिवासियों का अनोखा संदेश: मां प्रकृति के नाम एक पेड़, पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल

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छत्तीसगढ़, कोरबा (आदिनिवासी)। विश्व पर्यावरण दिवस पर गोंडवाना गोंड महासभा ने एक अद्भुत पहल की है। कोरबा के गायत्री मंदिर, कोसाबाडी में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में, गोंड आदिवासियों ने अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के साथ वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा है। इस पहल का उद्देश्य देश भर में पेड़ों की संख्या बढ़ाकर पर्यावरण संतुलन को बनाए रखना है।

गोंड समुदाय के नेताओं ने बताया कि उनके लिए प्रकृति ही सर्वोच्च देवता है। उन्होंने कहा, “पेड़-पौधे और वन हमारे लिए केवल संसाधन नहीं, बल्कि पूजनीय हैं। हम प्रकृति को ‘बड़ा देव’ मानते हैं।” इस अवसर पर पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना की गई और वृक्षारोपण किया गया।
यह कार्यक्रम न केवल कोरबा, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं एक पौधा लगाकर इस अभियान की शुरुआत की, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है।

इस अनूठे प्रयास की सराहना करते हुए, सभी नागरिकों से आह्वान किया गया है कि वे भी इस पहल में शामिल हों और अधिकाधिक वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें।
यह कार्यक्रम आदिवासी ज्ञान और आधुनिक पर्यावरण संरक्षण के बीच एक सुंदर सामंजस्य प्रस्तुत करता है। गोंड समुदाय की प्रकृति के प्रति श्रद्धा, राष्ट्रीय पर्यावरण नीतियों के साथ मिलकर, एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है, बल्कि आदिवासी संस्कृति के महत्व को भी रेखांकित करती है। ऐसे प्रयास जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और स्थानीय समुदायों को सशक्त बना सकते हैं।

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