शनिवार, जुलाई 27, 2024

प्रथम स्वतंत्रता सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह को शहादत दिवस पर दी श्रद्धांजलि: गोंगपा विधायक तुलेश्वर मरकाम ने कहा-छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे सपूत थे वीर नारायण सिंह

Must Read

कोरबा/कटघोरा (आदिनिवासी)। आदिवासी समाज के अमर शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत दिवस पर आज कटघोरा में सर्व आदिवासी समाज द्वारा आज उन्हें याद करते हुए कटघोरा के गोंडवाना भवन से विशाल रैली निकाल कर पूरे कटघोरा नगर का भ्रमण कर कटघोरा नगर के मुख्य चौराहे पर स्थापित शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा के पास जाकर रैली समाप्त हुई। इस मौके पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नवनिर्वाचित पाली तानाखार विधायक तुलेश्वर मरकाम प्रमुख रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। विधायक श्री मरकाम ने कटघोरा चौक पर स्थापित अमर शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा को नमन करते हुए मालार्पण किया और अमर शहीद वीर नारायण सिंह जिंदाबाद के नारे का उद्घोष किया। इस दौरान पाली तानाखार विधायक तुलेश्वर मरकाम ने वीर नारायण सिंह के मातृभूमि के लिए योगदान को याद करते हुए कहा है कि स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर देने वाले आदिवासी जन-नायक वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे सपूत थे। उन्होंने सन् 1856 के भीषण अकाल के दौरान गरीबों को भूख से बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कठिन संघर्ष किया।

आगे श्री मरकाम ने कहा, उन्होंने सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में छत्तीसगढ़ की जनता में देश भक्ति का संचार किया। राज्य सरकार ने उनकी स्मृति में आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग में उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान स्थापित किया है। विधायक तुलेश्वर मरकाम ने कहा है कि शहीद वीर नारायण सिंह के अन्याय के खिलाफ संघर्ष, मातृभूमि के प्रति समर्पण और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। इस दौरान आदिवास छात्रावास के अधीक्षक बी.के. उइके ने बताया कि आज अमर शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में उन्हें याद करते हुए रैली निकालकर पूरे नगर का भृमण किया साथ ही शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा में माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। साथ छात्रावास में वार्षिक उत्सव काक भी आयोजन किया जाएगा। इस दौरान आदिवासी समाज के समस्त पदाधिकारी व सामाजिक व्यक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कौन थे वीर नारायण सिंह?
वीर नारायण सिंह बलौदा बाजार के सोनाखान इलाके के एक बड़े जमींदार थे। उनके क्रांति की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उन्होंने सन् 1856 के भीषण अकाल के दौरान गरीबों को भूख से बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कठिन संघर्ष किया। उन्होंने सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में छत्तीसगढ़ की जनता में देश भक्ति का संचार किया।


- Advertisement -
  • nimble technology
[td_block_social_counter facebook="https://www.facebook.com/Adiniwasi-112741374740789"]
Latest News

आदिवासी अधिकारों के लिए गुणपुर में विशाल सभा: शहीद दिवस और विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन

गुणपुर (अदिनिवासी)। गुणपुर ब्लॉक के चालकम्भा गांव में 25 जुलाई 2024 को शाम 7 बजे एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित...

More Articles Like This