रविवार, सितम्बर 8, 2024

लागत में C2+50 प्रतिशत पर देशव्यापी आन्दोलन ही डॉ स्वामीनाथन को सच्ची श्रद्धांजलि: किसान महासभा

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रायपुर (आदिनिवासी)। अखिल भारतीय किसान महासभा (AIKM) भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ स्वामीनाथन के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती है. एक कृषि वैज्ञानिक के रूप में उनके नेतृत्व में सन् 2004 में बने भारत के कृषि आयोग द्वारा कृषि लागत में C2 + 50 प्रतिशत जोड़कर किसानों की आय बढाने की सिफारिश करना उनका सबसे बड़ा योगदान है. यही कारण है कि बढ़ते कृषि संकट के दौर में आज भारत के किसानों की यह मुख्य मांग बन गयी है।अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं छत्तीसगढ़ प्रमुख, किसान नेता नरोत्तम शर्मा ने महान कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि यह सर्वविदित है कि 2014 में सत्ता में आने से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के तहत एमएसपी देने का वायदा किया था. मगर साढ़े नौ वर्षों के शासन के बाद भी मोदी सरकार ने देश के किसानों से किया अपना वायदा पूरा नहीं किया है. इस लिए कृषि लागत में C2+50% जोड़ कर एमएसपी के लिए राष्ट्रव्यापी आन्दोलन तेज करना ही देश के किसानों की ओर से डॉ स्वामीनाथन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
यह भी याद रखना चाहिए कि सत्तर के दशक में अन्न के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डॉ स्वामीनाथन के नेतृत्व में जिस हरित क्रांति की नींव डाली गयी थी, उसने भारत की खेती में वित्तीय और कारपोरेट पूंजी की घुसपैठ को तेज किया. धीरे-धीरे भारत की खेती-किसानी इस वित्तीय पूंजी और कारपोरेट पूंजी के जाल में फंस गई. भारत में आज का गंभीर कृषि संकट और खेती, अन्न के भंडारण व खुदरा बाजार पर कारपोरेट कम्पनियों के एकाधिकार के प्रयास की जमीन यहीं से तैयार हुई. हालंकि हरित क्रांति से भारतीय ग्रामीण जीवन में पड़े सामाजिक व आर्थिक दुष्प्रभावों का कुछ आकलन सन् 2006 में जारी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भी दिखाई देता है।अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं छत्तीसगढ़ प्रमुख, किसान नेता नरोत्तम शर्मा ने महान कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि यह सर्वविदित है कि 2014 में सत्ता में आने से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के तहत एमएसपी देने का वायदा किया था. मगर साढ़े नौ वर्षों के शासन के बाद भी मोदी सरकार ने देश के किसानों से किया अपना वायदा पूरा नहीं किया है. इस लिए कृषि लागत में C2+50 प्रतिशत जोड़ कर एमएसपी के लिए राष्ट्रव्यापी आन्दोलन तेज करना ही देश के किसानों की ओर से डॉ स्वामीनाथन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
यह भी याद रखना चाहिए कि सत्तर के दशक में अन्न के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डॉ स्वामीनाथन के नेतृत्व में जिस हरित क्रांति की नींव डाली गयी थी, उसने भारत की खेती में वित्तीय और कारपोरेट पूंजी की घुसपैठ को तेज किया. धीरे-धीरे भारत की खेती-किसानी इस वित्तीय पूंजी और कारपोरेट पूंजी के जाल में फंस गई. भारत में आज का गंभीर कृषि संकट और खेती, अन्न के भंडारण व खुदरा बाजार पर कारपोरेट कम्पनियों के एकाधिकार के प्रयास की जमीन यहीं से तैयार हुई. हालंकि हरित क्रांति से भारतीय ग्रामीण जीवन में पड़े सामाजिक व आर्थिक दुष्प्रभावों का कुछ आकलन सन् 2006 में जारी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भी दिखाई देता है।


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