बोनस और बेहतर दाम ने किसानों को आत्मनिर्भर बनने का मौका दिया।
कोरबा (आदिनिवासी)| किसान धनीराम, मनहरण लाल, आशा राम, तिजउ राम जैसे कई किसानों को अभी भी याद है कि जब उन्हें सरकार से धान की अच्छी कीमत मिली थी। दो साल का लंबित बोनस और “कृषक उन्नति” योजना के तहत खाते में मिली एकमुश्त राशि ने उनकी कई जरूरतें पूरी कीं। इस पैसे से उन्होंने अपने कर्ज भी चुका दिए और राहत महसूस की।
किसानों का कहना है कि इस बार भी उन्होंने धान की फसल ली है। पंजीकरण हो चुका है, और अब फसल को खेत से घर लाकर मिंजाई (धान साफ करने का काम) कर रहे हैं। जल्दी ही वे धान उपार्जन केंद्र में बेचने की योजना बना रहे हैं। किसानों को भरोसा है कि पिछले साल की तरह इस बार भी उन्हें धान की पूरी कीमत मिलेगी।
करतला विकासखंड के ग्राम सलीहांभाठा के किसान और उनकी कहानियां
गांव के ज्यादातर किसान अपने खेतों में धान की फसल उगाते हैं। 71 वर्षीय किसान धनीराम खैरवार दशकों से खेती कर रहे हैं। वे पौने चार एकड़ खेत में खेती करते हैं। उनका कहना है कि खेती करना आसान नहीं है। अगर फसल अच्छी हो जाए तो ठीक है, वरना मेहनत बेकार जाती है। पहले किसानों को उनकी मेहनत की सही कीमत नहीं मिलती थी, जिससे निराशा होती थी। लेकिन अब उन्हें 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान की कीमत मिल रही है, जो खेती के प्रति उनका उत्साह बढ़ा रहा है।
पांच एकड़ में धान की फसल उगाने वाले किसान मनहरण लाल ने बताया कि उन्होंने पिछले साल 97 क्विंटल धान बेचा था। इस बिक्री से मिली रकम और “कृषक उन्नति योजना” के तहत मिली राशि ने उनके घर की जरूरतें पूरी करने में मदद की। वे बताते हैं कि इस योजना की मदद से उन्होंने अपने कर्ज भी चुकाए।
इसी तरह, किसान आशा राम (सवा तीन एकड़ में) और तिजउ राम (चार एकड़ में) भी धान की फसल उगाते हैं। आशा राम ने पिछले साल 61 क्विंटल धान बेचा था। वे जल्द ही इस बार की फसल बेचने जाएंगे। तिजउ राम ने भी पंजीकरण करा लिया है।
कृषकों के लिए सरकार का ऐतिहासिक निर्णय
किसानों ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किसानों के लिए बड़ा कदम उठाया है। 3100 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत और 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का निर्णय किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। यह कीमत अन्य जगहों पर नहीं मिल रही है, जिससे स्थानीय किसान बेहद खुश हैं।
इन योजनाओं से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है, बल्कि उनकी खेती में रुचि और आत्मविश्वास बढ़ने की भी उम्मीद की जा रही है।