रायपुर। प्रदेश के दो लाख शिक्षकों ने सोमवार को राज्य के सभी जिला कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करते हुए नागरिकों और केंद्रीय कर्मचारियों के बीच समानता की मांग की। शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें वेतन विसंगति, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) और सेवा गणना जैसे मुद्दों को लेकर नाराजगी जताई गई।
23 अक्टूबर तक की मोहलत
शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने सरकार को 23 अक्टूबर तक की मोहलत दी है। यदि सरकार उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, तो 24 अक्टूबर को राज्य के सभी सरकारी स्कूल एक दिन की छुट्टी लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। रायपुर में यह विरोध प्रदर्शन छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संचालक वीरेंद्र दुबे के नेतृत्व में और बिलासपुर में संजय शर्मा के नेतृत्व में हुआ।
प्रमोशन और प्रगति पर असर
शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि संविलियन वर्ष से सेवा की गणना करते समय उनके पिछले वर्षों की सेवा शून्य मानी जाती है, जिससे उनकी प्रगति और प्रमोशन पर असर पड़ता है। इस मुद्दे पर मोर्चा के मनीष मिश्रा और विकास राजपूत ने कहा कि यह अन्यायपूर्ण है और इसे जल्द से जल्द सुधारना चाहिए।
शिक्षकों की प्रमुख मांगे
शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने कुछ मुख्य मांगे रखीं, जिनमें सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति को दूर करना, सभी एलबी दस्तों को बेहतर वेतनमान देना, और वेतन में 1.86 गुना वृद्धि करना शामिल हैं। इसके साथ ही, ओपीएस का निर्धारण पिछली सेवा अवधि की गणना करके करने और पेंशन का निर्धारण 33 वर्ष की बजाय 20 वर्ष की सेवा पर करने की मांग की गई है।
केंद्र के समान देखभाल लाभ की मांग
शिक्षकों ने केंद्र सरकार की तर्ज पर 4 प्रतिशत देखभाल लाभ की भी मांग की है। इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से बानू दलिया, एम प्रकाश सोनकरा, अब्दुल आसिफ खान, जीतेंद्र मिश्रा, गंगा पासी, और धर्मेश शर्मा जैसे शिक्षक भी शामिल हुए।
आगे की रणनीति
अगर शिक्षकों की मांगे नहीं मानी गईं तो 24 अक्टूबर को सभी शिक्षक राज्यभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे और इसके बाद लंबी लड़ाई के लिए तैयार होंगे।