कोरबा (आदिनिवासी)। आदिवासी शक्ति पीठ, बुधवारी बाजार कोरबा में 24 जून को मध्य भारत के बावन गढ़ संतावन परगना की गोंडवाना साम्राज्ञी महारानी दुर्गावती मरावी की 260वीं बलिदान दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी और पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में महारानी की वीरता और त्याग को स्मरण करते हुए शक्ति पीठ के सांस्कृतिक प्रमुख, रूपेन्द्र कुमार पैकरा ने कहा कि उस समय के मुगल साम्राज्य के सामने जहां बड़े-बड़े रियासतों के राजा ने नवरत्न की उपाधि स्वीकार की और दरबारी बन गए, वहीं महारानी दुर्गावती ने अपने स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने रणभूमि में लड़ते हुए षड्यंत्र का शिकार होकर मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए और अमर हो गईं।
इसके बाद आर एस मार्को ने अपने उद्बोधन में कहा कि गढ़ा मंडला की महारानी दुर्गावती के पास एक सफेद हाथी था जिसका नाम सरमन था। मुगल बादशाह अकबर ने सोने का पिंजरा भेजकर उसे अपने हवाले करने का आदेश दिया था, जिसका स्वाभिमानी रानी ने माकूल जवाब दिया और युद्ध भूमि में लड़ने की चुनौती स्वीकार की। रानी के वीरगति प्राप्त करते ही हाथी सरमन ने भी पत्थर से सिर पटक कर अपने प्राण त्याग दिए।
संगोष्ठी में अध्यक्ष शिव नारायण सिंह कंवर, बी एम ध्रुवे, गंगा सिंह कंवर, मनोहर प्रताप सिंह तंवर, महिला प्रभाग से कृष्णा राजेश, रमा राज मोना ध्रुव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में पुष्पांजलि अर्पित की गई। संगोष्ठी का संचालन निर्मल सिंह राज ने किया। इस अवसर पर शक्ति पीठ के गणमान्य सदस्य, महिला एवं युवा प्रभाग के पदाधिकारी सहित कई अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
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