कोरबा (आदिनिवासी)। सर्व आदिवासी समाज जिला कोरबा ने लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत डिटेन किए जाने का कड़ा विरोध जताया है। इसी संबंध में समाज के पदाधिकारियों ने महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है।
संगठन ने ज्ञापन में कहा है कि सोनम वांगचुक एक ऐसे वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिनके कार्यों की सराहना देश और विदेश दोनों स्तरों पर की जाती रही है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, हिमालयी पारिस्थितिकी और लद्दाख के स्थायी विकास के लिए असाधारण योगदान दिया है। ऐसे व्यक्ति पर गंभीर धाराएं लगाना और उन्हें बदनाम करने का प्रयास करना अत्यंत निंदनीय और अलोकतांत्रिक कदम है।

सर्व आदिवासी समाज ने कहा कि सरकार ने सोनम वांगचुक के साथ वादाखिलाफी की है। उनके द्वारा उठाए गए लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने जैसे मुद्दे पूरी तरह जनहित से जुड़े हैं। संगठन का मानना है कि इन मांगों को संवैधानिक दायरे में स्वीकार किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर समाज के पदाधिकारियों ने एकजुट होकर सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई की मांग की और कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
संगठन ने घोषणा की कि आगामी 14 नवम्बर को भगवान बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर बंद (भारत बंद) का आह्वान किया गया है। इस दिन देशभर के आदिवासी समाज अपनी एकजुटता और विरोध का संदेश देंगे।
इस अवसर पर निर्मल राज, उपाध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज जिला कोरबा ने कहा कि: —
“सोनम वांगचुक जैसे पर्यावरण प्रेमी और जनसरोकार वाले व्यक्ति को प्रताड़ित करना केवल लोकतंत्र पर नहीं, बल्कि पर्यावरणीय न्याय की भावना पर भी प्रहार है। सरकार को तुरंत उन्हें रिहा करना चाहिए और उनकी मांगों पर संवेदनशीलता से विचार करना चाहिए।”