शनिवार, अप्रैल 19, 2025

कोरबा जिले में EVM प्रशिक्षण के दौरान भाजपा प्रत्याशी द्वारा ‘गोंड गंवार’ टिप्पणी पर हंगामा:  FIR की तैयारी!

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कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा में शुक्रवार को नगरीय निकाय चुनाव के लिए आयोजित EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) प्रशिक्षण सत्र के दौरान भाजपा प्रत्याशी पवन अग्रवाल के विवादित बयान से जोरदार तनाव पैदा हो गया। अग्रवाल ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) के कार्यकर्ताओं को “गोंड गंवार” कहकर संबोधित किया, जिसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया और प्रशिक्षण सत्र रोकना पड़ा। 

यह घटना शुक्रवार को कटघोरा के रिटर्निंग ऑफिसर (RO) कार्यालय के सभागार में हुई। यहां कांग्रेस, भाजपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों को EVM के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। 

भाजपा प्रत्याशी पवन अग्रवाल ने प्रशिक्षण के दौरान कहा, “हमें EVM के बारे में ज़्यादा मत समझाइए, हम कोई गोंड गंवार थोड़े हैं।” यह बयान सुनते ही GGP के प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं में गुस्सा फैल गया। उन्होंने इसे गोंड आदिवासी समुदाय के प्रति अपमानजनक और जातिसूचक टिप्पणी बताया। 

1. GGP का आक्रोश: पार्टी के तानाखार विधायक तुलेश्वर हीरासिंह मरकाम ने इस टिप्पणी को “अस्वीकार्य और अनुचित” करार दिया। 
2. कानूनी कार्रवाई: GGP नेता लाल बहादुर कोर्राम ने घोषणा की कि वे शुक्रवार को ही थाना जाकर अग्रवाल के खिलाफ FIR दर्ज कराएंगे। 
3. प्रशासन की भूमिका: एसडीएम (रिटर्निंग ऑफिसर) ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षण स्थगित कर दिया। 

इस सत्र का मुख्य उद्देश्य उम्मीदवारों को EVM के नए फॉर्मेट से अवगत कराना था, जिसमें मतदाताओं को एक ही मशीन में दो अलग-अलग पदों (जैसे महापौर और पार्षद) के लिए वोट डालना होगा। यह प्रक्रिया पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आवश्यक थी। 

यह घटना सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि समाज में संवेदनशील सामुदायिक संबंधों को ठेस पहुंचाने वाली है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, जो मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है, ने इस टिप्पणी को “सामुदायिक गरिमा पर हमला” बताया। 

– GGP नेता श्री कोर्राम ने कहा, “हमारा संघर्ष सिर्फ चुनावी नहीं, बल्कि सम्मान का है। यह FIR हमारी आवाज बनेगी।” 
– प्रशासन ने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने और चुनावी आचार संहिता का पालन करने की अपील की है। 

यह घटना न केवल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, बल्कि सामाजिक सद्भाव के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करती है। चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सम्मानजनक व्यवहार ही लोकतंत्र की मजबूती का आधार है। 

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