बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए नवाचारी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था पर हो फोकस: शिक्षकों की नियमित उपस्थिति और स्कूलों की सतत मॉनिटरिंग के दिए निर्देश
रायगढ़ (आदिनिवासी)। राज्य शासन द्वारा पूरे प्रदेश में मात्र एक रायगढ़ जिले के लिए स्कूलों की मरम्मत हेतु लगभग 130 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई है। जो जिले के लिए एक सुनहरा अवसर है। इसलिए इस राशि का बेहतर उपयोग करें। यह सोचकर स्कूलों में निर्माण करायें कि अपना खुद का मकान बना रहे है, जिसमें अपने स्वयं के बच्चे रहेंगे। निर्माण कार्यों में क्वालिटी का विशेष ध्यान दें। उक्त बातें कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने शिक्षा विभाग की बैठक में कही।
कलेक्टर श्री सिन्हा ने बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि जिन स्कूलों में मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हुआ है वे आगामी 5 मई तक सभी स्कूलों में निर्माण कार्य चालू करायें। निर्माण कार्य के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बरसात के दिनों में दीवारों में सीपेज की समस्या न हो एवं छत से पानी नहीं टपकना चाहिए। साथ ही स्कूल के शौचालय हवादार एवं दरवाजे-खिड़की रोशनदार होने चाहिए। स्कूल में लैब एवं लाईब्रेरी भी बनवाईये। प्राप्त राशि में अच्छी गुणवत्ता के साथ क्या-क्या निर्माण हो सकता है इसका ध्यान रखें।
बैठक में कलेक्टर ने जिले के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए नवाचारी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए जिले में बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार करने कहा। जिससे बच्चे आईआईटी-जेईई, नीट जैसी बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में ज्यादा से ज्यादा चयनित हो सके। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक पूरे समाज और विशेष रूप से बच्चों के लिए आदर्श होते है। इसलिए शिक्षकों को कर्तव्यनिष्ठा से अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राचार्य किसी भी स्कूल का मुखिया होता है, इसलिए उन्हे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यकतानुसार नवाचारी तकनीकों का उपयोग करते हुए स्कूलों में बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार करना चाहिए। बैठक में कलेक्टर ने स्कूलों में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति, स्कूलों की सतत मॉनिटरिंग और छात्रों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है।
कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि कोई भी स्कूल एकल शिक्षकीय एवं शिक्षक विहीन न हो। उन्होंने कहा कि विकासखण्ड धरमजयगढ़, लैलूंगा एवं तमनार में सबसे ज्यादा एकल शिक्षकीय है, वहां त्वरित रूप से स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की व्यवस्था करें, ताकि आगामी शिक्षा सत्र में बच्चों के लिए अध्ययन-अध्यापन पर प्रतिकुल प्रभाव न पड़े। उन्होंने जिले के विद्यालयों में पाठ्य पुस्तकें, गणवेश वितरण, नि:शुल्क सरस्वती सायकल वितरण के संबंध में चर्चा की। उन्होंने आगामी सत्र की तैयारी हेतु विद्यालय खोलने के पूर्व सभी प्राचार्यो की बैठक बुलाकर अध्ययन-अध्यापन की कार्ययोजना समग्र शिक्षा को तैयार करने हेतु निर्देशित किया। पेंशन प्रकरणों की जानकारी लेते हुए प्रकरणों का त्वरित रूप से निराकरण की कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया। साथ ही कर्मचारियों को पदोन्नति, क्रमोन्नति वेतन वृद्धि समय पर प्रदान करने हेतु निर्देशित किया। बालबाड़ी के संंबंध में जानकारी लेते हुए कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि बालबाड़ी का संचालन नियमित रहे तथा आकर्षक बनाया जाए एवं विद्यार्थियों को सीखने के सुगम तरीके, खेल-खेल में अभ्यास कराना सुनिश्चित करें।
कलेक्टर श्री सिन्हा ने बैठक के दौरान कहा कि कई दफे इस बात की शिकायत सुनने को मिलती है कि प्राईवेट स्कूल वाले किसी एक व्यक्ति विशेष की दुकान से ही ड्रेस अथवा किताबें खरीदी करने हेतु पालक पर दबाव बनाते है, जो कि सही नहीं है। ऐसी शिकायत मिलने पर तत्काल कार्यवाही करें। इसमें लापरवाही नहीं चलेगी।
बैठक में ज्वाईंट कलेक्टर श्री बी.आर.धु्रव, डिप्टी कलेक्टर श्रीमती रेखा चन्द्रा, डिप्टी कलेक्टर सुश्री अक्षा गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी श्री बी.के.बाखला, सहायक संचालक शिक्षा श्री के.के.स्वर्णकार, डीएमसी श्री नरेन्द्र चौधरी सहित सभी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, सर्व प्राचार्य एवं सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।
विद्यालयीन समय में स्कूल में रहे शिक्षक, मॉनिटरिंग की बनाएं व्यवस्था
कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि कई बार सुनने को मिलता है कि स्कूल में शिक्षक सही समय पर नहीं आते, देर से आते हैं, कई बार बिना जानकारी या सूचना के अनुपस्थित है। यह स्थिति नही होनी चाहिए। उन्होंने निर्देशित किया कि स्कूल में आने वाले शिक्षकों के समय पर उपस्थिति की मॉनिटरिंग की व्यवस्था बनाए ताकि शिक्षकों की विद्यालयीन समय में स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। इसके बाद भी अगर कोई लापरवाही करते पाये जाते है अथवा बिना बताये अनुपस्थित रहते है तो उन पर सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
मीनू के अनुसार दें मध्यान्ह भोजन
कलेक्टर श्री सिन्हा ने मध्यान्ह भोजन के संबंध में जानकारी लेते हुए बच्चों को मीनू के अनुरूप पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मध्यान्ह भोजन पौष्टिक एवं गर्म रहे, ताकि बच्चों को उसका पूरा लाभ मिले। उन्होंने मध्यान्ह भोजन का मीनू चार्ट सभी स्कूलों के दीवार में पेन्ट करवाने के निर्देश दिए।