गुरूवार, नवम्बर 21, 2024

छत्तीसगढ़ में माकपा का विरोध प्रदर्शन: स्मार्ट मीटर परियोजना पर उठाए सवाल, निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी

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धमतरी (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ में माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) ने स्मार्ट मीटर परियोजना के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन करते हुए इसे कॉर्पोरेट मुनाफे और बिजली क्षेत्र के निजीकरण की साजिश करार दिया है। माकपा के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पराते ने कहा कि इस परियोजना से गरीबों के घर अंधेरे में डूब सकते हैं और हजारों बिजली कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। माकपा ने ऐलान किया है कि वह इस जनविरोधी परियोजना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध करेगी।

माकपा के राज्यव्यापी आह्वान पर धमतरी में बड़ी संख्या में माकपा, सीटू और छत्तीसगढ़ किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने इस परियोजना के विरोध में धरना दिया। इस धरने में बिजली विभाग के ठेका मजदूरों ने भी सक्रिय भागीदारी दिखाई।

धरने को संबोधित करते हुए संजय पराते ने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर परियोजना, जिसे अडानी और टाटा जैसी कॉर्पोरेट कंपनियों द्वारा संचालित किया जा रहा है, का असल उद्देश्य बाजार में नए मीटरों के लिए मांग पैदा करना है। उन्होंने बताया कि इन प्री-पेड स्मार्ट मीटरों की कीमत लगभग 8000 रुपए है और इनका जीवनकाल केवल 5-6 साल का है। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने इन मीटरों को बदलने के लिए सरकारी खजाने से 5000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई है, जिसका बोझ भविष्य में उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा।

पराते ने जोर देकर कहा कि यह कदम बिजली क्षेत्र के निजीकरण की दिशा में बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने चेताया कि भविष्य में बिजली उत्पादन और वितरण का काम भी इन कॉर्पोरेट कंपनियों को सौंपा जा सकता है, जिसके बाद ये कंपनियां ऊंचे दामों पर बिजली बेचेंगी और गरीब वर्ग इसे खरीदने में असमर्थ होगा।
धरना का नेतृत्व कर रहे समीर कुरैशी, मनीराम देवांगन, पुरुषोत्तम साहू, रेमन यादव समेत कई अन्य नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जहां भी स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, वहां आम जनता के अनुभव बेहद नकारात्मक रहे हैं। लोगों को लग रहा है कि उनकी जेबों पर डाका डाला जा रहा है और कई जगहों पर इन मीटरों का बहिष्कार भी हो रहा है।

धरने में ठेका बिजली कर्मचारियों के नेता दुर्गेश देवांगन ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बिजली वितरण का काम सार्वजनिक क्षेत्र में होता है, लेकिन भाजपा सरकार इसे निजी हाथों में सौंपने की कोशिश कर रही है। इससे हजारों स्थाई और ठेका कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में आ जाएंगी। यह सरकार के बेरोजगारों को रोजगार देने के वादे के विपरीत है।

धरने में प्रमुख रूप से तुलसीराम निर्मलकर, दयाराम साहू, चंदन कोर्राम, हरीश पराते, ललिता साहू, सरला शर्मा, अनुसूईया कंडरा, सागर राम निषाद, राम ईलाखत निषाद, जी आर बंजारे आदि शामिल थे। धरना समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा गया।



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