सरगुजा के साल्ही गांव में आदिवासी आस्था और अडानी के प्रोजेक्ट के बीच संघर्ष
सरगुजा (आदिनिवासी )। सरगुजा जिले के ग्राम साल्ही में आदिवासियों के आराध्य बूढ़ादेव का पवित्र स्थल खतरे में है। परसा कोल ब्लॉक, जिसे अदानी समूह का एमडीओ संचालित कर रहा है, के विस्तार के लिए यहां के जंगलों को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच काटा जा रहा है। इस कार्रवाई को लेकर विवाद तब गहरा गया जब यह आरोप लगाया गया कि इसे बिना पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं की सहमति के किया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों का विरोध
गांव के आदिवासी समुदाय ने इस कार्यवाही का पुरजोर विरोध किया है। उनका कहना है कि यह न केवल उनकी धार्मिक आस्था का उल्लंघन है, बल्कि उनके अधिकारों का भी हनन है। विरोध करने वाले आदिवासी नेता, स्थानीय निवासी और पर्यावरण कार्यकर्ता एकजुट होकर सरकार पर आदिवासी अधिकारों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस खनन कार्य को तुरंत रोका जाए।
अदानी समूह पर गंभीर आरोप
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री के करीबी माने जाने वाले अदानी समूह को इन खदानों से ‘रिजेक्ट कोयला’ मुफ्त में दिया जा रहा है, जो कि एक बड़ा अन्याय है। इससे न केवल आदिवासियों के हितों को नुकसान हो रहा है, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय समुदाय भी प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार की भूमिका और प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई ठोस बयान नहीं आया है, लेकिन विरोध की आवाजें तेजी से बढ़ रही हैं। आदिवासी समाज के नेताओं का कहना है कि वे अपने अधिकारों और धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए आखिरी दम तक संघर्ष करेंगे।
“यह गंभीर मामला न केवल आदिवासी समुदाय के अधिकारों का सवाल है, बल्कि यह सरकार की नीतियों और प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है। पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति के बिना खनन कार्य शुरू करना कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टियों से अनुचित प्रतीत होता है। साथ ही, इस प्रकार के विरोध से प्रशासन और कंपनियों के बीच विश्वास की कमी भी उजागर होती है, जो कि एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौती बन सकती है। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे को संवेदनशीलता से समझे और समाधान निकाले, जिससे आदिवासियों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा हो सके।”