गुरूवार, जुलाई 31, 2025

कोंडागांव में आदिवासी ईसाई महिला पर जानलेवा हमला और बेटी से यौन उत्पीड़न का प्रयास: धार्मिक असहिष्णुता व ज़मीनी विवाद से उपजा क्रूर अपराध

Must Read

सरकार से त्वरित कार्रवाई, न्याय और सुरक्षा की मांग

कोंडागांव (आदिनिवासी)। कोंडागांव जिले के धनोरा थाना क्षेत्र अंतर्गत चनियागाँव के कोंहड़ापारा में एक आदिवासी ईसाई महिला और उसकी बेटियों पर बर्बर हमला और यौन उत्पीड़न की शर्मनाक घटना सामने आई है। यह हमला न केवल पारिवारिक ज़मीनी विवाद की पृष्ठभूमि में हुआ, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक असहिष्णुता की भी भूमिका रही।

घटना के अनुसार, सुमित्रा (परिवर्तित नाम) नामक ईसाई महिला अपनी तीन बेटियों (उम्र क्रमशः 22, 20 और 14 वर्ष) के साथ अपने खेत में काम कर रही थी, तभी उनके ही रिश्तेदार चिंताराम दुग्गा और उसके तीन बेटे—मुकेश, सुरेश और लोकेश—कुल्हाड़ी, फावड़े और डंडों से लैस होकर वहाँ पहुँचे। उन्होंने महिला पर निर्ममता से हमला किया, उसके सिर में गहरी चोट आई। उसे मृत समझकर हमलावरों ने उसके शरीर को खेत में धान के भूसे के ढेर में छिपा दिया।

इसी दौरान, हमलावरों ने उसकी बड़ी बेटी को एक कमरे में घसीटा और यौन उत्पीड़न का प्रयास किया। युवती के कपड़े फाड़ दिए गए और उसके हाथ व कंधे में गंभीर चोटें आईं। वह किसी तरह खुद को बचाकर जंगल की ओर भागी। उसकी बहनें भी पीटने के बाद भाग निकलीं और जंगल में छिपीं।

बाद में बेटियाँ किसी तरह अपने जानकारों से संपर्क कर सकीं, जिनकी मदद से वे धनोरा थाने पहुँचीं और पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दी। पुलिस तुरंत घटनास्थल पहुँची और महिला को गंभीर अवस्था में भूसे के नीचे से जीवित निकाला। उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद रायपुर के डॉ. बी.आर.अंबेडकर अस्पताल रेफर किया गया। बड़ी बेटी का उपचार कोंडागांव के सरकारी अस्पताल में जारी है।

धनोरा थाना में दर्ज एफआईआर (क्र. 0013/15.07.2025) में भारतीय दंड संहिता की धाराएँ 137(2), 87, 70(1), 115(2), 351(3), 109(1) और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(5) जोड़ी गई हैं। सभी चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं।

धार्मिक असहिष्णुता और ज़मीन विवाद की पृष्ठभूमि

यह घटना वर्षों पुराने पारिवारिक ज़मीन विवाद का परिणाम है, जिसमें महिला के दिवंगत पति (जिनकी मृत्यु 2007 में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई) की संपत्ति पर उसका अधिकार नकारा गया। जब महिला ने 2017 में ईसाई धर्म अपनाया, तब से रिश्तेदारों की प्रताड़ना और अधिक बढ़ गई।

जानकारी के अनुसार, महिला ने अपने बच्चों की बीमारी से निराश होकर चर्च की शरण ली थी, जहाँ प्रार्थना से उन्हें स्वास्थ्य लाभ हुआ। इसी अनुभव ने उसे और उसकी बेटियों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया।

आरोपी चिंताराम दुग्गा कथित तौर पर कहता था कि जब तक महिला अपना धर्म नहीं त्यागेगी, तब तक उसे ज़मीन पर दावा करने का अधिकार नहीं मिलेगा।

पादरी हेमंत कंधापन को भी निशाना बनाने की साजिश

घटना के बाद, आसपास के गाँवों के कुछ लोगों ने पीड़ित परिवार की मदद करने वाले पादरी हेमंत कंधापन और उनके परिवार को भी निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। स्थानीय बैठकें बुलाकर उनके खिलाफ सामाजिक बहिष्कार, हमला और धनोरा से निष्कासन की योजना बनाई गई है। आरोप लगाया गया है कि उन्होंने: पीड़ितों को पुलिस सहायता दिलाई।
अस्पताल में भर्ती और कानूनी प्रक्रिया में मदद की।
FIR दर्ज कराने में सहायक भूमिका निभाई।

सूत्रों के अनुसार, कुछ ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर आरोपियों की रिहाई की मांग की और पुलिस पर दबाव बनाया है।

न्याय, सुरक्षा और राहत की माँग

इस पूरे मामले ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी ईसाई समुदायों की स्थिति, धार्मिक स्वतंत्रता और भूमि अधिकारों पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित परिवार को तत्काल निम्नलिखित सहायता की आवश्यकता है:

1. त्वरित, निष्पक्ष और कठोर कानूनी कार्रवाई।
2. उच्च गुणवत्ता का चिकित्सा उपचार और आघात परामर्श।
3. पीड़ित परिवार और पादरी हेमंत कंधापन के परिवार की सुरक्षा।
4. धार्मिक असहिष्णुता की विस्तृत जाँच और सांप्रदायिक सौहार्द की पुनर्स्थापना।
5. भूमि अधिकार, भोजन, आश्रय और कानूनी सहायता जैसी बुनियादी सुविधाएँ।

यह घटना केवल एक व्यक्ति या परिवार पर हमला नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक संकट की चेतावनी है—जहाँ धार्मिक असहिष्णुता, पितृसत्ता, संपत्ति की लूट और आदिवासी अधिकारों की अनदेखी एक त्रासदी को जन्म देती है। राज्य शासन, पुलिस प्रशासन और नागरिक समाज को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि न्याय हो, और फिर कभी किसी सुमित्रा को अपनी आस्था, अधिकार या जीवन के लिए इस तरह न लड़ना पड़े।

- Advertisement -
  • nimble technology
Latest News

बंगालियों को ‘घुसपैठिया’ बताना अन्यायपूर्ण: जिन्होंने राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान और देश को सम्मान दिलाया, आज उन्हीं पर सवाल क्यों?

भाजपा की राजनीति पर सवाल, संवैधानिक मूल्यों पर हमला: मजदूर संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का विरोध नई दिल्ली/रायपुर (आदिनिवासी)। राष्ट्रगीत...

More Articles Like This