मंगलवार, अप्रैल 8, 2025

बस्तर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या: राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का खतरनाक चेहरा -किसान सभा

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कोरबा (आदिनिवासी)। बस्तर के जुझारू और जनपक्षधर पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने छत्तीसगढ़ में लोकतंत्र और पत्रकारिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने इस बर्बर हत्या की कड़ी निंदा करते हुए इसे राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का नतीजा बताया है। किसान सभा ने इस मामले में बीजापुर के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को निलंबित करने और सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
मुकेश चंद्राकर: आवाज़ जो दबा दी गई
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा और दीपक साहू ने इस हत्या को जनपक्षधर पत्रकारिता पर हमला करार दिया है। उन्होंने कहा कि मुकेश चंद्राकर ने बस्तर में आदिवासियों पर हो रहे अन्याय, फर्जी गिरफ्तारियों और फर्जी मुठभेड़ों जैसे मुद्दों को उजागर किया था। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों को कॉरपोरेट्स के हवाले करने की साजिशों और माओवादियों के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार का भी पर्दाफाश किया था।
हालिया रिपोर्टिंग में उन्होंने गंगालूर से मिरतुल तक सड़क निर्माण की घटिया गुणवत्ता को उजागर किया था। इस रिपोर्टिंग के बाद भ्रष्टाचार की पोल खुली, लेकिन किसी भी दोषी पर कार्रवाई नहीं हुई। किसान सभा ने आरोप लगाया है कि यह हत्या राजनेताओं और माफियाओं के बीच सांठगांठ और भ्रष्टाचार के खेल का परिणाम है।

माफिया-राजनीति गठजोड़ का पर्दाफाश जरूरी
किसान सभा ने कहा कि जिन लोगों के नाम इस हत्या में सामने आए हैं, उनका कांग्रेस और भाजपा नेताओं के साथ गहरा रिश्ता है। माफिया तत्वों का राजनेताओं की छत्रछाया में गमछा बदलकर भ्रष्टाचार करना, किसी से छुपा नहीं है। किसान सभा ने सीबीआई जांच के जरिए इस गठजोड़ और इसके पीछे के आकाओं को बेनकाब करने की मांग की है।

पत्रकार सुरक्षा कानून: क्यों है जरूरी?

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को फिर से उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के निर्माण के 24 साल बाद भी कांग्रेस और भाजपा की सरकारें पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रही हैं।
हाल ही में, बस्तर के पत्रकार बाप्पी राय और उनके साथियों पर फर्जी मामलों के जरिए दबाव बनाने की कोशिश की गई। बस्तर में स्वतंत्र पत्रकारों को डराना-धमकाना आम बात हो गई है। मुकेश चंद्राकर की हत्या ने साबित कर दिया है कि यह समस्या अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने मुकेश चंद्राकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की। संगठन ने कहा कि इस हत्या के खिलाफ और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर आंदोलन में किसान सभा सहभागी बनेगी। उन्होंने आम जनता से एकजुट होकर इस लड़ाई में शामिल होने की अपील की है।

मुकेश चंद्राकर की हत्या न केवल पत्रकारिता पर हमला है, बल्कि यह लोकतंत्र और समाज के नैतिक मूल्यों पर भी गंभीर चोट है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे भ्रष्टाचार और माफिया संस्कृति राज्य की संस्थाओं को कमजोर कर रही है। अब समय आ गया है कि न्याय और पारदर्शिता की मांग के लिए सभी वर्ग एकजुट हों।

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