कोरबा (आदिनिवासी)। एसईसीएल की गेवरा खदान के विस्तार कार्य और सड़क खनन के खिलाफ छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में भू-विस्थापित ग्रामीणों ने ज़ोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रशासन, पुलिस और ग्रामीणों के बीच तनावपूर्ण स्थिति भी उत्पन्न हुई। आखिरकार, ग्रामीणों के जबरदस्त विरोध के आगे कंपनी को अपना काम रोकना पड़ा।
घटना तब की है जब एसईसीएल प्रबंधन ने कुसमुंडा-हरदीबाजार मुख्य मार्ग को खदान विस्तार के लिए काटना शुरू किया। इस कार्य में जेसीबी मशीनें लगाई गईं। यह कार्रवाई कटघोरा एसडीएम और संबंधित थाना प्रभारियों की मौजूदगी में भारी पुलिस बल के बीच हुई। इसके जवाब में किसान सभा के नेतृत्व में आस-पास के गांवों के भू-विस्थापित एकजुट हो गए और उन्होंने कार्यस्थल पर पहुंचकर खनन कार्य का विरोध किया।
समस्याओं के समाधान तक विरोध जारी रहेगा: किसान सभा
किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू ने स्पष्ट किया, “भू-विस्थापितों को उचित पुनर्वास और हर खातेदार को रोजगार दिए बिना हम इस जमीन पर किसी भी तरह का काम नहीं होने देंगे। जब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता, तब तक खदान का विस्तार नहीं होने देंगे। यदि प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया, तो गेवरा कार्यालय का महाघेराव किया जाएगा।”

छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, “प्रशासन का कर्तव्य है कि वह पहले ग्रामीणों की समस्याएं सुने, न कि सीधे एसईसीएल का साथ देकर उसके साथ मैदान में उतरे। हमारी मांग है कि हर छोटे-बड़े विस्थापित परिवार को नियमित रोजगार, पर्याप्त मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा दी जाए।”
पुराने जख्म ताजा, संघर्ष की चेतावनी
नरईबोध गोलीकांड में शहीद गोपाल दास के पुत्र रमेश दास ने दुख के साथ आक्रोश जताया। उन्होंने कहा, “एसईसीएल और प्रशासन के दमन के कारण ही मेरे पिता शहीद हुए थे। हम अपने अधिकारों के लिए आखिरी सांस तक लड़ेंगे। भू-विस्थापितों की समस्याओं के समाधान तक प्रशासन को खदान विस्तार में किसी भी तरह की सहायता तुरंत बंद करनी चाहिए।”
मांगें और चेतावनी
किसान सभा ने अपनी मांगों की सूची पेश करते हुए कहा कि प्रभावित हर छोटे-बड़े खातेदार को स्थायी नौकरी, विस्थापितों को बसावट और प्रभावित गांवों में पेयजल समस्या का तत्काल समाधान किया जाना चाहिए। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि 8 अक्टूबर तक उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो गेवरा कार्यालय का महाघेराव किया जाएगा।
इस विरोध प्रदर्शन में क्षेत्र के कई स्थानीय जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए, जिससे ग्रामीणों में बढ़ते असंतोष और एकजुटता का पता चलता है।