शुक्रवार, जुलाई 4, 2025

कोरबा में गोंड समाज का भव्य आयोजन: बड़ा देव की पूजा के साथ प्रकृति संरक्षण का संदेश

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कोरबा (आदिनिवासी)। ग्राम पंचायत सलिहा भांठा में गोंडवाना गोंड महासभा कोरबा द्वारा अपने इष्ट प्रकृति स्वरूप बड़ादेव की पारंपरिक स्थापना और पूजा-अर्चना की गई। भीषण गर्मी के बावजूद इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी महिलाएं, बच्चे और समाज के लोग शामिल हुए। पारंपरिक गोड़ी वाद्ययंत्रों की मंगल ध्वनि के बीच निकली भव्य शोभायात्रा ने पूरे वातावरण को आस्था और उल्लास से भर दिया। इस आयोजन में बड़ादेव के प्रति गहरी श्रद्धा के साथ-साथ संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का मजबूत संदेश भी दिया गया।

यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं था, बल्कि यह गोंड आदिवासी समाज की अपनी जड़ों, संस्कृति और प्रकृति के साथ अटूट जुड़ाव का प्रतीक बन गया। समाज की मान्यता है कि उनकी जीवनशैली और परंपराएं सीधे तौर पर प्रकृति से प्रेरित हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, समाज के लोगों ने एक साथ आकर न केवल बड़ादेव की पूजा की, बल्कि अपनी पहचान और अपने पर्यावरण को सहेजने का सामूहिक संकल्प भी लिया।

प्रकृति ही सर्वोच्च शक्ति: बड़ादेव का मर्म
कार्यक्रम से जुड़े सभापति सलिया भांठा के दिलहरन वरकडे ने बड़ादेव की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि आदिवासीयों का विश्वास हमेशा से प्रकृति और उसकी शक्तियों में रहा है। उनके लिए धरती, आकाश, जल, वायु और अग्नि ही सर्वोच्च शक्ति और अंतिम सत्य हैं। यह सार्वभौमिक सत्य शक्ति ही उनका इष्ट बड़ादेव है। इस मान्यता के केंद्र में प्रकृति के प्रति गहरा सम्मान और संरक्षण का भाव निहित है।

संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
आयोजन स्थल पर बड़ादेव की स्थापना के साथ-साथ भविष्य के लिए भी योजनाएं बनाई गईं। दिलहरन वरकडे ने बताया कि इस स्थान पर लगातार ऐसे आयोजन होते रहेंगे, जिनका उद्देश्य बड़ादेव की पूजा के साथ-साथ पेड़ों की अंधाधुंध कटाई रोकने को लेकर समाज में जागरूकता पैदा करना भी है।

छत्तीसगढ़ गोंडवाना गोंड महासभा के जिला अध्यक्ष जे बी कारपे ने इस बात पर जोर दिया कि अपनी समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं को सहेज कर ही हम अपने जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति और प्रकृति का यह जुड़ाव ही हमारी पहचान है और इसे बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

भव्य आयोजन और सहभागिता
इस कार्यक्रम में जिले सहित अन्य प्रदेशों से भी गोंड समाज के बड़ी संख्या में लोग शामिल होने पहुंचे। पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे सैकड़ों लोगों की उपस्थिति ने आयोजन को और भी भव्य बना दिया। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की बड़ी संख्या में भागीदारी ने दिखाया कि समाज की युवा पीढ़ी भी अपनी संस्कृति से जुड़ने को लेकर कितनी उत्साहित है। कार्यक्रम के दौरान पारंपरिक विधि-विधान से कलश स्थापना भी की गई।

इस महत्वपूर्ण आयोजन में संरक्षक विशाल कोरमा, पाली की सभापति जाम बाई श्याम, जनपद सदस्य रीना मरकाम, उषा नेटी, सरोज जगत, अनुराधा नेताम, रामखेलावन सिदार, रामकुमार वरकडे, कौशल खुरसिंगा, जगदीश नेटी, इंद्रपाल मरकाम, बालकृष्ण पुलस्त, मनोज पोर्ते, अशोक पोर्ते, केसर नेटी, सूरजमान सिदार, ध्वजाराम वरकड़े, हेमा नेटी, राधा नेटी सहित भारी संख्या में आदिवासी गोंड समाज के गणमान्य नागरिक और सदस्यगण उपस्थित रहे।
यह आयोजन गोंड समाज की आस्था, संस्कृति और प्रकृति के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है। सलिहा भांठा में स्थापित बड़ादेव स्थल अब समाज के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है, जहां से वे अपनी परंपराओं को जीवित रखने और पर्यावरण को बचाने का संदेश पूरे क्षेत्र को देंगे।

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