कोरबा (आदिनिवासी)। फ्लोरामैक्स कंपनी द्वारा ठगी का शिकार बनी हजारों महिलाओं का संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है। इन महिलाओं ने सोमवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की।
उनका साफ कहना है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे नगर निकाय चुनाव का बहिष्कार करेंगी।
यह मामला अब सिर्फ एक धोखाधड़ी का मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि प्रशासन और राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है।
ठगी के खिलाफ संघर्ष: कब शुरू हुई महिलाओं की लड़ाई?
फ्लोरामैक्स कंपनी द्वारा की गई धोखाधड़ी के खिलाफ पीड़ित महिलाएं लंबे समय से आवाज उठा रही हैं।
चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले, महिलाएं 10-15 दिनों तक अनशन पर रहीं।
कई सामाजिक संगठनों ने इनके आंदोलन का समर्थन किया।
मंत्रीगण के दौरों के दौरान, इन महिलाओं ने उनका घेराव कर न्याय की गुहार लगाई।
इसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कुछ एजेंटों को गिरफ्तार किया,
लेकिन महिलाओं की लोन माफी की मुख्य मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी।
प्रशासन की निष्क्रियता से महिलाओं का बढ़ता आक्रोश
हालांकि, प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन महिलाओं को अब भी माइक्रोफाइनेंस एजेंटों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।
पीड़ित महिलाओं का सवाल है—
“जब प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है, तो इन एजेंटों को फैसला आने तक हमें परेशान करने की इजाज़त क्यों दी जा रही है?”
महिलाओं ने इस संदर्भ में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि उन्हें तत्काल इस मानसिक प्रताड़ना से राहत दी जाए।
चुनाव बहिष्कार की चेतावनी, प्रशासन के लिए बढ़ी चुनौती
महिलाओं का कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो—
कोरबा नगर पालिका निगम क्षेत्र की 10 से 12 हजार महिलाएं चुनाव का बहिष्कार करेंगी।
पूरे जिले में 30 से 40 हजार महिलाएं मतदान नहीं करेंगी।
यह चेतावनी राजनीतिक दलों और प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं का बहिष्कार चुनावी समीकरणों को बदल सकता है।
अब बड़ा सवाल: क्या मिलेगी न्याय की गारंटी?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि—
क्या प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे पर जल्द कार्रवाई करेगा?
क्या राजनीतिक दल इन महिलाओं को मनाने में सफल होंगे?
क्या यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है?
अगले कुछ दिन कोरबा के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। यह मामला सिर्फ एक ठगी तक सीमित नहीं है, बल्कि हजारों महिलाओं की न्याय की पुकार बन चुका है।
आगे क्या? प्रशासन और राजनीति के लिए परीक्षा की घड़ी
महिलाओं का आंदोलन और उनकी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी प्रशासन के लिए तत्काल निर्णय लेने की परीक्षा बन गई है। यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो यह मामला राजनीतिक हलचल को भी जन्म दे सकता है।
अब देखने वाली बात होगी कि—
“क्या सरकार और प्रशासन इस चुनौती का समाधान निकाल पाएंगे या महिलाओं को अपने हक के लिए और लंबा संघर्ष करना पड़ेगा?”