बालको नगर की बैठक में तेलुगु समुदाय की एकजुटता और जागरूकता पर जोर
कोरबा/बालको नगर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ में निवासरत तेलुगु भाषियों को एकजुट करने के उद्देश्य से फरवरी 2025 में रायपुर में दो दिवसीय तेलुगु महा सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। यह महत्वपूर्ण निर्णय रविवार को कोरबा के बालको नगर में आयोजित तेलुगु महा संघम की प्रांतीय बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ तेलुगु महा संघम के अध्यक्ष आर. मुरली ने की। उन्होंने कहा कि तेलुगु भाषी समुदाय की समस्याओं के समाधान के लिए संघ निरंतर संघर्ष करेगा। इसके तहत राज्य के विभिन्न जिलों में तेलुगु साहित्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा ताकि लोगों में जागरूकता और एकजुटता लाई जा सके।
बैठक के दौरान संयोजक रुद्र मूर्ति ने संघ की स्थापना से अब तक किए गए कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। संघ के सलाहकार एम. बाबूराव ने भी तेलुगु भाषियों की समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष पर जोर दिया। बैठक में कोषाध्यक्ष एन. रमणमूर्ति, उपाध्यक्ष बी. वेणुगोपाल राव, बी. जोगाराव, सचिव आर. मनोरथ बाबू और कार्यकारिणी सदस्य एन. नरसिंगराव, जी. रवि, के. वेंकटराव, डी.डी. किरण, एम. चिन्ना, व्ही. रवि और एलाजी राव ने भी अपने विचार रखे।
इस मौके पर कोरबा तेलुगु समिति की नई कार्यकारिणी का चुनाव संपन्न हुआ, जिसमें अध्यक्ष पी. आदिनारायण, सचिव एम. चिन्ना, उपाध्यक्ष जे. रत्नम, तारकेश्वर राव, सुरेश गुप्ता, कोषाध्यक्ष पी. सतीश, उप महा सचिव बी. सुधाकर एवं नारायण, और कार्यकारिणी सदस्य एस. आर. एन. जी. गजपति राजू, पी. श्रीनिवासराव, जे. सुधाकर, के. चेन्न, जीवनराव, टी. बालाचीन्नैय्य और पी. रमनय्या चुने गए।
कार्यक्रम का संचालन महा सचिव बी. तुलसीराव ने कुशलतापूर्वक किया। अंत में, तेलुगु समिति के अध्यक्ष पी. आदिनारायण ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस महत्वपूर्ण बैठक में रायपुर, बिलासपुर और भिलाई से तेलुगु वेलफेयर सोसाइटी, आंध्र समाज, संयुक्त आंध्र समाज, आंध्र ब्राह्मण समाज, प्रवास आंध्र प्रजा नाट्य मंडली और अच्युतांध्र सेवा समिति के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस बैठक का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में तेलुगु भाषी समुदाय को एकजुट करना और उनकी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करते हुए उनके सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाना है। फरवरी 2025 में होने वाले तेलुगु महा सम्मेलन से समुदाय को अपनी भाषा, संस्कृति और अधिकारों के प्रति जागरूक करने का अवसर मिलेगा। यह पहल निश्चित रूप से राज्य में तेलुगु भाषियों को एक सशक्त मंच प्रदान करेगी।