रायपुर (आदिनिवासी )। सतनाम को जातिवादी धर्म की दासता से मुक्ति दिलाने- विधिक मान्यता दिलाने, व सतनाम धर्म स्थल सर्वोच्च प्रबंधन संस्थान [ SDSSPS ] का कानून सरकार द्वारा नहीं बनाने के विरोध एवं मनुवादी फासिस्टों द्वारा संवैधानिक धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को कुचलने, धार्मिक-जातिय नफ़रत-उन्माद फैलाने के विरोध में गुरु घासीदास सेवादार संघ के तत्वाधान में 30 जनवरी 2023, सोमवार को रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थल में 1:00 से 5:00 बजे तक विशाल धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है।
कार्यक्रम को मुख्य रूप से निम्न वक्ता गण श्री प्रवीण उरांव, (राष्ट्रीय सरना धर्मगुरु राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा भारत रांची (झारखंड) सरदार गुरमीत सिंह सैनी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी [SGPC] पंजाब के अधिनस्थ सिख धर्म प्रचार मिशन छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तेलगाना के इंचार्ज, रायपुर) एड. रजनी सोरेन, (ह्यूमन राइट् सोशल एक्टिविस्ट व GSS/LSU के विधि-सलाहकार, बिलासपुर) एड. प्रियंका शुक्ला (ह्यूमन राइट् सोशल एक्टिविस्ट व GSS/LSU के विधि-सलाहकार, बिलासपुर) एड. शाकिर कुरैशी (प्रदेश अध्यक्ष – राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा छत्तीसगढ़, रायपुर) सौरा यादव (स्टेट सेक्रेटरी-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी -लेनिनवादी, CPIML रेडस्टार) भिलाई) का. बृजेंद्र तिवारी (स्टेट सेक्रेटरी-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी -लेनिनवादी, CPIML (लिबरेशन) भिलाई, व्ही. एन. प्रसादराव (नेता-प्रोग्रेसिव क्रिश्चियन एलाइंस, भिलाई) का. सोम गोस्वामी (सेक्रेटरी- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी CPI रायपुर) अर्जुन सिंह ठाकुर (राष्ट्रीय सचिव व प्रभारी – छत्तीसगढ़, झारखंड, आम्बेडकराइज पार्टी ऑफ इंडिया [API] राजनांदगांव) सुश्री सीमा झा (ह्यूमन राइट्स सोशल एक्टिविस्ट व LSU उपाध्यक्ष, रायपुर) वीरेंद्र बोरकर,
(नेता-यूनाइटेड बुद्धिस्ट सोसाइटी, राजनांदगांव) मोहम्मद आसिफ भाभा (धर्मनिरपेक्ष संविधान समर्थक सोशल वर्कर, बिलासपुर) के. के. मसीह
(धर्मनिरपेक्ष संविधान समर्थक सोशल वर्कर, दुर्ग) शुद्र डी.के. यादव (अंबेडकराइट धर्मनिरपेक्ष संविधान समर्थक सोशल वर्कर, लखनऊ) मिश्रीलाल खांडे, (अध्यक्ष-सतनाम धर्म दीक्षा प्रदाय व प्रचार संस्थान, मुंगेली) चोवाराम साहू,
(धर्मनिरपेक्ष समर्थक सोशल वर्कर, दुर्ग) लालाराम यादव, (नेता-भारतीय पिछड़ा शोषित संगठन, अलवर राजस्थान) आदि वक्ता गण संबोधित करेंगे।
मुख्य विषय एवं मुद्दा, मुख्य वक्ता व ज्ञापन पठन-वाचन लखन सुबोध (केंद्रीय संयोजक GSS) करेंगे। कार्यक्रम का संचालन/संयोजन एम.डी.सतनाम, तामेश्वर अंनत, दिनेश सतनाम, रामनारायण भारती, सुशील अंनत, अजय अंनत, वीरेंद्र भारद्वाज, रूपदास टंडन आज करेंगे।
भारतीय इतिहास की मुख्यधारा के पाठ्यक्रम में गुरुघासीदास व सतनाम के शोधित इतिहास [ मिथकीय -चमत्कारी नहीं ] को दर्ज कर, सतनाम धर्म स्थलों – भंडारपुरी, तेलासीबाड़ा, गिरौदपुरी, चटूआधाम, बोड़सराबाड़ा आदि को निजी व सरकारी मिल्कियत से मुक्त कर आम सतनामधर्मियों के *बालिग मताधिकार से निर्वाचित प्रतिनिधि संस्था* को सौंपने विषयक कानून [ सिक्खधर्मियों के महान शहादती आंदोलन से ई.1920 – 25 में सरकार द्वारा बनाए गए कानून *’शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ [SGPC]* कानून की तरह ] बनाने, जिससे धर्मस्थलों के भूमि संसाधनों का उपयोग निजी पंडागीरी, लूट खसोट में न जाकर *पीड़ित मानवता की सेवादारी, शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार मूलक कार्यों में लगाया जा सके एवं देश की संपदा को एकाधिकाकर तंत्र [ मोनोपोली कार्पोरेट पूंजीतंत्र ] को लूटने देने/सौंपने और इसे आसानी से लुटेरे, *लूटतंत्र* को चला सके ।
देश के आम व खास नागरिकों, कामगारों, छात्रों-नौजवानों , बुद्धिजीवियों को सिर्फ कार्पोरेट लूटतंत्र के *आज्ञापालक दासानुदास बनाने* और इस जुल्म के खिलाफ जन आवाज को दबाने – बहलाने- फुसलाने और अंततः क्रूर दमन करने, *जातिय समुदायों, धार्मिक फिरको के बीच उन्माद फैलाकर जन मानव को बांटने,* लोगों को मूर्ख अंधभक्त बनाने हिंदू [ *सिंधु* नदी का अप्रमांशित नाम *हिंदू* ] शब्द का प्रयोग कर, जिससे बहुसंख्यक जन गच्चा खा जाए [ ताकि उन्हीं बहुसंख्यक हिन्दू नामधारी *किसानों-मजदूरों को ही आराम से लूट – खसोट सके* ]
संवैधानिक मौलिक अधिकार *”धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार”* जिसके तहत् कोई भी चाहें हिंदू धर्म से मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख आदि धर्म या इन धर्मों से हिंदू धर्म अपनाने का अधिकार रखता है।
इस अधिकार का दुरुपयोग न हो, इसके लिए *”मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ – धर्म स्वतंत्रत्रय अधिनियम 1968 व नियम 1969* बना हुआ है । लेकिन मनुवादी फासिस्ट तंत्र इन प्रावधानों को नकारता है और अपनी मनमानी करता है ।
भारतीय इतिहास में [ इतिहास को मिथिहासिक बनाने में नहीं, शोधित लोक इतिहास में ] हुए *जातिवादी जुल्म विरोधी आंदोलन से स्थापित* विचार धर्म को [ इनमें से एक गुरुघासीदास प्रवर्तित सतनाम आंदोलन से विकसित *”सतनाम धर्म”* भी है ] को साम, दाम, दंड, भेद नीति से दबा-छिपाकर इन सब जन आंदोलन-विचार-धर्म को *जबरन अपने जातिवादी – जुल्मी धर्म के खांचे* में गुलाम जाति बनाकर रखा गया है।
मनुवादी कार्पोरेट तंत्र भारतीय संविधान सिद्धांतनुरूप धर्मनिरपेक्ष – जनवादी संविधान को खत्मकर, जातिवादी – ऊंचनीच – प्रताड़ना – कामगार शूद्र वर्ग व स्त्री विरोधी बर्बर अत्याचार के लिए कुख्यात, जन्म से श्रेष्ठ – अश्रेष्ठ सिद्धांत को कठोरता से लागू करने वाले ” *मनु*( स्मृति ) *संविधान*” को बाकायदा लागू करने (और इसे छिपाने *”हिंदू राष्ट्र”* का नाम देने, जिससे लोग धोखा खा जाए।
जाहिर है कि ऐसे छिपाने वाले गिरोह तंत्र के लिए यह सटीक मुहावरा *”मुंह में राम बगल में छुरी”* एवं *”ऊपर ले राम-राम तरी ले कसाई”* ऐसे ही नहीं बना है। लोक जगत के चिर अनुभव से ही ऐसे लोक मुहावरा बनती है।
संवैधानिक धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार का मतलब सिर्फ नागरिकों को अपने रुचि के धर्म को मानने का अधिकार भर नहीं है।
यह कर्तव्य भी चिन्हित है कि, दूसरे अन्य द्वारा माने जाने वाले धर्म आस्था के प्रति *सहिष्णुता मैत्री भाव* भी रखना है।
सतनाम जाति नहीं, नीति है,
जन आंदोलन से विकसित धर्म-संस्कृति है।
जिसे मनुवादी फासिस्ट गिरोह द्वारा ई .1860 में गुरुबालकदास की षड़यंत्रपूर्वक हत्या के बाद सतनामियों को गुलाम – लाचार बनाने समाज/राजनीति के दलालों के शह पर *सतनाम धर्म* को दमित कर *”जाति”* बना दिया गया।
GSS इस तरह के कानून बनाने, मुद्दा उठाने के लिए संघर्षरत प्रथम एवं एक मात्र संस्था है।
GSS सभी व्यक्तियों – संस्थाओं से अपील – आहवान करता है कि, जो भी इन मुद्दों पर एवं जनवादी – धर्मनिरपेक्ष – संविधान बचाने एवं धार्मिक नफरत – हिंसा रोकने, “साझा मोर्चा” बनाने संघर्ष करने आगे आयें।