शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024

जाति आधारित गणना जारी रखने के उच्च न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य: भाकपा-माले

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सामाजिक न्याय की घोर विरोधी भाजपा की खुली कलई

बिहार (आदिनिवासी)। भाकपा-माले राज्य सचिव कॉम. कुणाल ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा जाति आधारित गणना को जारी रखने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे सामाजिक न्याय की घोर विरोधी भाजपा को झटका लगा है। हम तो चाहते हैं कि बिहार सहित पूरे देश में ही जाति आधारित गणना हो।

हर कोई जानता है कि भाजपा शुरू से ही जाति आधारित गणना की विरोधी रही है। उसके लोग इसे रूकवाने के लिए उच्च न्यायालय गए थे, लेकिन आज उच्च न्यायालय ने जाति गणना पर रोक से साफ इंकार कर दिया। यह और जरूरी इसलिए हो जाता है कि आज भी हमारे पास 1931 का ही डाटा है। जब देश में जाति गणना हुई थी। उसी डाटा के आधार पर सरकारी योजनाएं बनती हैं।

आदिवासी, दलित-पिछड़ी जातियों के लिए चल रही सरकारी योजनाओं को अद्यतन करने, आरक्षण को तर्कसंगत बनाने तथा सामाजिक स्तर में सुधार के लिए जाति गणना बेहद जरूरी है ताकि हमारे पास सही-सही डाटा हो।

हम यह भी उम्मीद करते हैं कि अब तक की हुई गणना में जो भी विसंगतियां उभरकर सामने आई हैं, उसे ठीक करने पर सरकार गंभीरता पूर्वक कार्य करेगी।

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