न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला
रायपुर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। वर्ष 2022 में चार साल के मासूम बच्चे को अपहरण कर श्मशान घाट में जिंदा जलाने के जघन्य अपराध के मामले में न्यायालय ने आरोपी पंचराम गेन्द्रे को मृत्युदंड की सजा सुनाई है।
क्या हुआ था उस दिन?
5 अप्रैल 2022 को उरला क्षेत्र में रहने वाले पंचराम गेन्द्रे ने पड़ोस में रहने वाले मासूम हर्ष (4 साल) का अपहरण कर लिया था। आरोपी बच्चे को बेमेतरा ले गया। बच्चे के परिजनों ने उरला थाने में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई।
परिजनों ने बताया कि सुबह 10 बजे आरोपी पंचराम उनके दो बेटों—छह साल के दिव्यांश और चार साल के हर्ष—को घुमाने के बहाने अपनी बाइक पर ले गया था। थोड़ी देर बाद वह दिव्यांश को घर छोड़ गया, लेकिन हर्ष को अपने साथ लेकर फरार हो गया।
पुलिस ने कैसे सुलझाया मामला?
मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने शहर एएसपी तारकेश्वर पटेल और क्राइम एएसपी अभिषेक माहेश्वरी को तत्काल जांच का निर्देश दिया। पुलिस की टीम ने आरोपी की मोबाइल लोकेशन के आधार पर छानबीन शुरू की। आरोपी बार-बार अपनी लोकेशन बदल रहा था, जिससे पुलिस के लिए चुनौती बढ़ गई।
आरोपी नागपुर में पकड़ा गया
दो दिनों की सघन जांच के बाद पुलिस को पता चला कि आरोपी नागपुर में है। एएसपी क्राइम अभिषेक माहेश्वरी के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन कर 7 अप्रैल को नागपुर से आरोपी को गिरफ्तार किया गया। रायपुर पुलिस ने हिरासत में लेकर जब उससे पूछताछ की, तो उसने बच्चे के अपहरण और हत्या की बात स्वीकार कर ली।
श्मशान में जलाया जिंदा मासूम
पूछताछ के दौरान आरोपी ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि वह हर्ष को बेमेतरा के एक श्मशान घाट में ले गया और उस पर पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। इस भयावह घटना के पीछे की वजह पूछने पर आरोपी ने बताया कि वह बच्चे की मां से एकतरफा प्रेम करता था और इस घृणित कृत्य को अंजाम दिया।
न्यायालय का सख्त फैसला
इस अमानवीय कृत्य के दोषी पंचराम गेन्द्रे को न्यायालय ने मृत्युदंड की सजा सुनाई। इस फैसले ने न केवल पीड़ित परिवार को न्याय दिया, बल्कि समाज में यह संदेश भी दिया कि मासूमों के साथ अत्याचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
यह घटना केवल एक कानूनी मामला नहीं है, बल्कि समाज के लिए चेतावनी भी है। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल परिवार की ही नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता जरूरी है।इस भयावह घटना ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि प्रेम का रूप जब विकृत होता है, तो यह निर्दोष जिंदगियों को कैसे तबाह कर सकता है। न्यायालय के इस निर्णय ने उम्मीद जगाई है कि कानून का डर अपराधियों को उनके गलत इरादों से रोकेगा।