नई दिल्ली (आदिनिवासी)। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के किसान संघर्ष समिति ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय आवंटित करने का विरोध किया है। चौहान के कार्यकाल के दौरान मंदसौर में 6 किसानों की हत्या हुई थी, जब वे उचित समर्थन मूल्य (सी2+50%), व्यापक कर्जा माफी और किसानों की आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। यह निर्णय भाजपा सरकार के पूर्व अहंकार और असंवेदनशीलता को दर्शाता है, जिसने पूरे देश में किसानों और ग्रामीण लोगों में रोष पैदा कर दिया है।
एनडीए सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में बढ़ते कृषि संकट और किसान आत्महत्याओं को संबोधित करने के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का हो-हल्ला मचाया जा रहा है, लेकिन यह एक पहले से चल रही योजना है जो किसानों की मांगों को पूरा नहीं करती। इससे स्पष्ट है कि भाजपा ने ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी हार से कोई सबक नहीं सीखा और कृषि में कॉर्पोरेट नीतियों में बदलाव नहीं करेगी।
एसकेएम 10 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में अपनी जनरल बॉडी बैठक आयोजित कर रहा है, जिसमें कृषि को कॉर्पोरेट हमले से बचाने और किसान केंद्रित नीतियों के लिए संघर्ष की कार्ययोजना पर विचार किया जाएगा। एसकेएम ने सांसद कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन के खिलाफ अहंकारी और दुर्भावनापूर्ण बयानों की भी निंदा की है, हालांकि उन्हें थप्पड़ मारना उचित नहीं माना गया। एक प्रतिनिधिमंडल ने लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों के परिवारों से भी मुलाकात की और उन्हें कानूनी सहायता का आश्वासन दिया।
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