बुधवार, अप्रैल 16, 2025

बंधुआ मजदूरों को आज़ादी: लोक सिरजनहार यूनियन की ऐतिहासिक पहल

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बिलासपुर (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूर परिवारों को महाराष्ट्र के पुणे स्थित ईंट भट्टों में बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराकर उनके गृहग्राम लाने का कार्य लोक सिरजनहार यूनियन (एलएसयू) ने किया। यह कदम मजदूरों के अधिकारों और मानव गरिमा की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
30 दिसंबर 2024 को बिलासपुर एवं जांजगीर-चांपा जिले के केवतरा और झलमला गांवों के मजदूर परिजनों ने एलएसयू अध्यक्ष एवं प्रवासी मजदूर संगठनों के संयोजक लखन सुबोध से मुलाकात कर न्याय और सहायता की अपील की। उनके परिवार के सदस्य पुणे के ईंट भट्टों में बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर थे।

संयुक्त प्रयास: एलएसयू और आजीविका ब्यूरो का सहयोग

एलएसयू महासचिव वीरेंद्र भारद्वाज ने महाराष्ट्र की संस्था “आजीविका ब्यूरो” से संपर्क साधा। इस संस्था के प्रतिनिधि साहेबराव और दीपक ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर 7 जनवरी 2025 को इन मजदूरों को भट्टा मालिकों के चंगुल से मुक्त कराया। मुक्त कराए गए मजदूरों में देवेंद्र पाटले, गीता पाटले, निखिल, रोहित भारद्वाज, साक्षी, सुरुज बाई, संजना और मधु शामिल थे।

मजदूरों की सुरक्षित वापसी

10 जनवरी 2025 को मुक्त कराए गए मजदूरों को बिलासपुर (छत्तीसगढ़) लाया गया। यहां मजदूर (कर्मचारी) नेता एमडी सतनाम ने मजदूरों को कानूनी सहायता और अन्य जरूरी मदद का आश्वासन दिया।

यह घटना न केवल मजदूरों की आज़ादी का प्रतीक है, बल्कि उनके मानवाधिकारों की पुनः स्थापना का उदाहरण भी है। एलएसयू और आजीविका ब्यूरो के समन्वित प्रयासों से यह साबित हुआ कि संगठित प्रयासों से बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान संभव है।
यह पहल उन सभी संगठनों और संस्थाओं के लिए एक प्रेरणा है जो मजदूरों के अधिकारों और उनके जीवन की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। बंधुआ मजदूरी के खिलाफ लड़ाई में यह कदम एक मील का पत्थर साबित हुआ है।

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