मंगलवार, अक्टूबर 14, 2025

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की स्थापना: दादा हीरा सिंह मरकाम का दृष्टिकोण और शोषित समाज के सशक्तिकरण का संघर्ष

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गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की स्थापना केवल एक राजनीतिक संगठन के गठन की घटना नहीं, बल्कि भारत के शोषित, पिछड़े और आदिवासी समुदायों के सामाजिक-राजनीतिक पुनरुत्थान की दिशा में एक ऐतिहासिक आवश्यकता थी। इस पार्टी के संस्थापक दादा हीरा सिंह मरकाम ने अपने जीवन भर के संघर्ष और अनुभव से यह समझा कि बिना सत्ता में भागीदारी के सामाजिक परिवर्तन अधूरा रहता है।

स्थापना का मूल उद्देश्य
दादा हीरा सिंह मरकाम, जो एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक से विधायक बने, ने 1970-80 के दशक में गोंडवाना आंदोलन के पुनर्जागरण के दौरान गोंडवाना धर्माचार्य दादा कल्याण सिंह वरकड़े, डॉ.महिपाल सिंह मरकाम, भुवन नेताम, काशीराम जगत, शिव शरण पाल सिंह पोर्ते, कौशिल्या पोर्ते आदि स्थानीय आदिवासी समाज के जुझारू नेतृत्वकारी साथियों के साथ छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में इस पार्टी की नींव रखी। उनका मुख्य उद्देश्य गोंड या कोइतूर समुदाय सहित समस्त आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग, किसानों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों, पहचान और राजनीतिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना था।

दादा मरकाम जी का स्पष्ट मानना था कि “बिना संस्कृति के सामाजिक चेतना नहीं आती, और बिना सामाजिक चेतना के राजनीतिक सशक्तिकरण संभव नहीं है।” इसी दर्शन के साथ उन्होंने गोंड भाषा, संस्कृति और इतिहास के संरक्षण एवं विकास के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

गोंडवाना: कोई जाति नहीं बल्कि ऐतिहासिक एवं राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक

दादा हीरा सिंह मरकाम ने ऐतिहासिक नाम “गोंडवाना” को किसी खास समुदाय तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे संपूर्ण भारत राष्ट्र की एकता, स्वतंत्रता और गणतांत्रिक चेतना का प्रतीक माना। इसीलिए पार्टी का नाम “गोंडवाना गणतंत्र पार्टी” रखा गया, ताकि यह संगठन जातीय सीमाओं से ऊपर उठकर मानवीय मूल्यों पर आधारित समस्त भारतीय जनता के अधिकार, समानता, न्याय और सुराज के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करे।

शोषित समुदायों के लिए संघर्ष
गोंडवाना क्षेत्र, जो मुख्यतः मध्य भारत के आदिवासी बहुल इलाकों में फैला है, दशकों से सामाजिक अन्याय, आर्थिक पिछड़ेपन और सांस्कृतिक उपेक्षा का शिकार रहा है। यहां के गोंड सहित अनेक जनजातीय एवं पिछड़े समुदायों को शासकीय नीतियों, संसाधनों और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में उचित स्थान नहीं मिला। परिणामस्वरूप, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मूलभूत अधिकारों से वे वंचित रहे।

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इन समुदायों की स्थिति सुधारने के लिए एक निर्णायक कदम उठाया। पार्टी ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सशक्तिकरण, भूमि अधिकार और संसाधनों के न्यायसंगत वितरण के मुद्दों पर सक्रियता दिखाई। साथ ही, इन समुदायों की संस्कृति, भाषा और परंपराओं की रक्षा में भी तत्परता दिखाई गई।

सत्ता में भागीदारी: सामाजिक परिवर्तन की कुंजी
दादा हीरा सिंह मरकाम की विचारधारा का केंद्रीय बिंदु यह था कि “बिना सत्ता के सामाजिक परिवर्तन मुश्किल है, सत्ता ही सारी सुखों की चाभी है।” उन्होंने समझा कि जब तक समाज के वंचित वर्गों को सत्ता में सीधी भागीदारी नहीं मिलेगी, तब तक उनके जीवन से जुड़ी नीतियां और अधिकार सुनिश्चित नहीं हो पाएंगे।

इसी सोच से प्रेरित होकर उन्होंने जनआंदोलन खड़ा किया और एक समर्पित राजनीतिक नेतृत्व तैयार किया। उनका मानना था कि राजनीति समाज परिवर्तन की सबसे प्रभावशाली धारा है और जब सत्ता पर अधिकार मिलेगा, तभी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, भूमि, जल-जंगल-जमीन और संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन संभव होगा।

पार्टी के प्रमुख लक्ष्य
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मुख्य लक्ष्यों में शामिल हैं:-

– भारतीय संविधान में निहित समानता, न्याय और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से लागू करना
– आदिवासी एवं पिछड़े समाज की सांस्कृतिक पहचान, भाषा और परंपराओं की रक्षा एवं संवर्धन
– शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भूमि पर स्वामित्व सुनिश्चित करना
– जल, जंगल, जमीन पर समुदाय के अधिकारों की स्थापना
– शासन तंत्र में आदिवासी, पिछड़े, दलित और श्रमिक वर्गों की उचित भागीदारी
– युवाओं और महिलाओं को नेतृत्व की मुख्यधारा में लाना

सामाजिक एकता और आत्मनिर्भरता का मार्ग
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का दर्शन सामाजिक न्याय, समान अवसर और स्वराज पर आधारित है। पार्टी मानती है कि भारतीय लोकतंत्र का सही अर्थ तभी पूरा होगा जब प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार और सम्मान का अवसर मिलेगा। यह पार्टी सत्ता को केवल शासन चलाने का साधन नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों के संरक्षण और न्याय की स्थापना का माध्यम मानती है।

समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव, शोषण और उपेक्षा को समाप्त करने के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने वह मार्ग अपनाया है जो समस्त शोषित जाति और समुदायों को सम्मानजनक जीवन, समान अवसर और सामाजिक न्याय दिलाने का माध्यम बने।

आशा और शक्ति का प्रतीक
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आज केवल एक राजनीतिक संगठन नहीं रह गई है, बल्कि यह शोषित जाति एवं समुदायों की सामाजिक-राजनीतिक पुनरुत्थान की आशा और शक्ति का प्रतीक बन चुकी है। दादा हीरा सिंह मरकाम की विचारधारा आज भी हर उस व्यक्ति के लिए दिशासूचक है जो यह मानता है कि सत्ता केवल विशेषाधिकार नहीं, बल्कि समाज को न्यायपूर्ण और समृद्ध बनाने की जिम्मेदारी है।
पार्टी का संदेश स्पष्ट है: “हर घर गोंडवाना, घर-घर गोंडवाना। हर घर रोजगार, हर घर शिक्षा। ऋण-शोषण मुक्त समाज का निर्माण ही गोंडवाना का लक्ष्य है!”
यह संघर्ष गोंडवाना क्षेत्र के हर पीड़ित, उपेक्षित और हाशिए पर रहने वाले व्यक्ति के अधिकारों के लिए निरंतर जारी है और यह आंदोलन समस्त भारतीय समाज में समानता, न्याय और आत्मसम्मान की स्थापना का पर्व है।
(रिपोर्ट: डॉ. विश्राम धुर्वे)

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