कोरबा। गेवरा और पेंड्रा के बीच रेल कॉरिडोर का निर्माण, इरकान द्वारा किया जा रहा है। यह राज्य सरकार, एसईसीएल और रेलवे की संयुक्त परियोजना है। इस रेल कॉरिडोर के निर्माण से गेवरा और दीपका खदानों को जोड़ने के लिए, दीपका के कृष्णानगर गांव में स्थित 42 मकानों और भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसका मुआवजा भुगतान कर दिया गया है और अधिग्रहित क्षेत्र में बने मकानों को ध्वस्त करके रेल पथ का निर्माण जारी है।
हालांकि, निर्माण एजेंसी के अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी से ग्रामीणों को बेवजह परेशानी उठानी पड़ रही है। पूरी रेल लाइन के कारण कई गांवों के किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं और बरसात के पानी से खेतों में जलभराव की समस्या हो रही है। कृष्णानगर के 16 लोगों के मकानों और संपत्तियों के मुआवजे का भुगतान न होने से एक साल तक “ऊर्जाधानी संगठन” के नेतृत्व में ग्रामीणों द्वारा लगातार आंदोलन किया गया था। आखिरकार, क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान किया गया।
इसी तरह, निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार द्वारा एक व्यक्ति की निजी भूमि पर मिट्टी डाल दी गई थी। भारी विरोध के बाद, पुनः सीमांकन करके मलबा हटाया गया। अब रेल कॉरिडोर निर्माण की तीनों इकाइयों के अधिकारियों ने कृष्णानगर को जोड़ने वाली सड़क को बंद करने की योजना बनाई है, जिससे ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
“ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति” के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने बताया कि गेवरा-पेंड्रा रेल कॉरिडोर से दीपका और गेवरा रेल लाइन को जोड़ने के लिए दो नई रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं, जबकि एक रेल लाइन पहले से दीपका-गेवरा लाइन पर मौजूद है। इसके कारण कृष्णानगर चारों ओर से घिर जाएगा और भविष्य में यहां के लोगों के घरों से निकलना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए कृष्णानगर के बहुत से लोगों की ओर से शेष बचे मकानों और भूमि के पूर्ण अधिग्रहण की मांग उठाई जा रही है।
श्री कुलदीप ने कहा है कि यदि कृष्णानगर को जोड़ने वाली सड़क को काटा जाता है, तो उनका संगठन विरोध प्रदर्शन करेगा। इस संबंध में प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को उचित पहल करनी चाहिए, ताकि ग्रामीणों की परेशानियों से बचाया जा सके।