कोरबा (आदिनिवासी)। प्रेस क्लब कोरबा के तिलक भवन में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के संस्थापक सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी और अन्य स्थानीय भाषाएँ जैसे गोंडी, हल्बी, भतरी, सरगुजही, और कुडुख के माध्यम से कक्षा पहली से पांचवीं तक प्राथमिक शिक्षा देने की व्यवस्था सरकार को लागू करनी चाहिए।
संगठन की बुनियादी विचारधारा और मूल उद्देश्य की चर्चा करते हुए, उन्होंने छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, अमित बघेल की नीतियों पर कठोर आलोचना की। बघेल जी की नीतियों को उन्होंने संगठन की मूल विचारधारा के विपरीत बताया। उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ की स्थापना के बाद से छत्तीसगढ़ियों की उपेक्षा की जा रही थी, जिसे दूर करने के लिए छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने लड़ाई लड़ी।
उन्होंने कहा कि 2014-15 में भाजपा की आउटसोर्सिंग नीति और छत्तीसगढ़ियों की अनदेखी से उपजा असंतोष ने इस संगठन को आकार दिया। इसके चलते अमित बघेल को भाजपा ने अनुशासनहीनता के चलते निष्काषित किया, लेकिन उनके राजनीतिक अनुभव ने संगठन को नई दिशा दी। उन्होंने संगठन को एक गैर-राजनीतिक ढांचा दिया, जिसका उद्देश्य राजनीति को प्रभावित करना था, न कि राजनीति में शामिल होना।
हालांकि, संगठन में जल्द ही अंतर्कलह उभर आई। अमित बघेल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और संगठन में उनकी एकाधिकारी नीतियों ने अंतर्विरोधों को जन्म दिया। उन्होंने संगठन के निर्णयों में परिवार के सदस्यों की भूमिका बढ़ा दी, जिससे संगठन के अन्य सदस्यों में रोष बढ़ने लगा।
संगठन के अगले अध्याय में दिलीप मिरी को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया है, जो छत्तीसगढ़ियों के हित में काम करने के लिए सदस्यता अभियान में जोर देंगे और संगठन का विस्तार करेंगे।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संगठन ने अपनी विचारधारा की सच्चाई और स्पष्टता को उजागर किया है, साथ ही छत्तीसगढ़ के लोगों के सामने एक सकारात्मक दिशा प्रदान की है।