शनिवार, अप्रैल 19, 2025

चक्रधर समारोह 2024: कला, संस्कृति और संगीत की सुरमयी शाम का भव्य आयोजन

Must Read

राहुल शर्मा के संतूर वादन ने बिखेरी कश्मीर की महक, भरतनाट्यम-कत्थक की प्रस्तुतियों ने जीता दिल

रायगढ़ (आदिनिवासी)। चक्रधर समारोह 2024 के छठे दिन की संध्या संगीत और नृत्य की अद्भुत प्रस्तुतियों से सराबोर रही। इस शाम की शुरुआत मुंबई से आए प्रसिद्ध संतूर वादक राहुल शर्मा ने की। उन्होंने अपने संतूर के मधुर सुरों के माध्यम से कश्मीर के पहाड़ी संगीत की खूबसूरत झलक पेश की। राहुल शर्मा, पंडित शिवकुमार शर्मा के पुत्र, ने संतूर वादन की बारीकियां अपने पिता से सीखीं और अपनी प्रस्तुति में कश्मीर की लोक धुनों को बड़े खूबसूरत अंदाज में पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इसके बाद भिलाई के डॉ. जी. रथिस बाबू ने भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी की शानदार प्रस्तुति दी, जो भगवान गणेश, श्रीराम, और अर्धनारीश्वर पर आधारित थी। उनकी भावभंगिमा और कलात्मकता ने दर्शकों का दिल जीत लिया। डॉ. बाबू आईसीसीआर और संस्कृति मंत्रालय के पैनल्ड आर्टिस्ट हैं और उन्होंने मध्य भारत में भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी के कई छात्रों को प्रशिक्षित किया है।

रायगढ़ की बेटी दीक्षा घोष ने भरतनाट्यम के माध्यम से माता रानी के रौद्र रूप और नारी शक्ति की प्रभावशाली प्रस्तुति दी। सुश्री घोष रायगढ़ में भरतनाट्यम की शिक्षिका हैं और उन्होंने पश्चिम बंगाल के रविन्द्र भारतीय विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है। उन्हें उत्तराखंड के भागीरथी उत्सव पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया है।

कार्यक्रम की एक और आकर्षक प्रस्तुति रायपुर की नन्ही कलाकार अन्विता विश्वकर्मा ने दी, जिन्होंने गणपति जगवंदन पर सुंदर और सुमधुर कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया। मात्र तीन वर्ष की उम्र से नृत्य कला से जुड़ी अन्विता वर्तमान में लखनऊ घराने की कत्थक नृत्यांगना हैं और अपने गुरु श्री अंजनी ठाकुर से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। उनके नृत्य ने पूरे समारोह में यश की चांदनी बिखेरी।

इसके बाद तबला वादक अंशुल प्रताप सिंह ने अपनी थाप से संगीत की शाम को गुंजायमान कर दिया। उन्होंने भगवान शिव के तांडव नृत्य को तबले की थाप से अद्वितीय रूप से प्रस्तुत किया। अंशुल सिंह ने अपने दादा और पिता से तबला वादन की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और वर्तमान में वे अपने गुरु श्री संजय सहाय से विशेष प्रशिक्षण ले रहे हैं। उन्होंने ताज महोत्सव, खजुराहो महोत्सव जैसे बड़े मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया है और पंडित विश्व मोहन भट्ट, श्री हरिप्रसाद चौरसिया जैसे महान कलाकारों के साथ संगत की है।

समारोह की अंतिम प्रस्तुति इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य के विविध रंगों का जीवंत प्रदर्शन रही। करमा, सरहुल, पंथी, गौरा-गौरी जैसे लोकनृत्य ने दर्शकों को छत्तीसगढ़ी संस्कृति की खुशबू से सराबोर कर दिया। विश्वविद्यालय की टीम ने विभिन्न लोककला का प्रदर्शन और निर्देशन डॉ. योगेंद्र चौबे के मार्गदर्शन में किया।

डॉ. योगेंद्र चौबे, जो लोककला लोकरंग के प्राध्यापक हैं, को रंगमंच और सांस्कृतिक नाट्य शैली में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। उनका शोध और लेखन में भी गहरा रुचि है और वे इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय में अध्ययन-अध्यापन कार्य में सक्रिय हैं।

चक्रधर समारोह 2024 का यह दिन कला, संस्कृति और संगीत प्रेमियों के लिए अविस्मरणीय बन गया। समारोह में प्रस्तुत की गई कलाकृतियों और कलाकारों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों के मन को छू लिया और इस बात की तस्दीक की कि कला और संस्कृति की यह धरोहर सदियों तक यूं ही जन-जन के मन को सजीव करती रहेगी।

- Advertisement -
  • nimble technology
Latest News

लोकतंत्र पर हमला: सेंसरशिप, दमन और विरोध की आवाज़ें दबाने की भाजपा सरकार की रणनीति

लोकतंत्र का गला घोंटने पर आमादा भाजपा सरकारें भारत को दुनिया के लोकतंत्र की माँ बताते हुए, असहमतियों का सम्मान...

More Articles Like This