(व्यंग्य : विष्णु नागर)नान बायोलॉजिकल जी पिछले दस साल में लाखों पेड़ों की बलि लेने के बाद अब 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान लेकर आए हैं। फिर भी पेड़ तो कटेंगे ही और लाखों में ही कटेंगे।अभी दिल्ली...
(व्यंग्य : विष्णु नागर)
अब अपने मोदी जी को लगने लगा है कि वे देवदूत हैं। इन्हें ऐसी अनुभूति होने लगी है कि इन्हें इनकी मां ने जन्म नहीं दिया है। इन्होंने बायोलाजिकली शरीर धारण किया ही नहीं है, बल्कि...
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
देखा, देखा! कैसे विरोधी, डेमोक्रेसी के मर्डर का शोर मचा रहे हैं? मर्डर और वह भी डेमोक्रेसी का? वाकई! पर कैसे?
कह रहे हैं कि केजरीवाल की गिरफ्तारी, डेमोक्रेसी का मर्डर है। सिंपल मर्डर भी नहीं, सीएम...
लगने को तो अनेक को लग सकता है कि हमारे प्रधानमंत्री जी बड़े विनोदी हैं, मजाकिए भी हैं। हालांकि अगर ऐसा लगता है तो कोई अजीब बात भी नहीं। ऐसा लगना सिर्फ अनुमान नहीं है, इसमें भरी-पूरी सच्चाई है। इसके...
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)भई कोई कुछ भी कहे, दुनिया में डंका तो बज ही रहा है। और कैसे नहीं बजता। जब मोदी जी बजवा रहे हैं, तो डंका तो बजना ही था। आखिर, मोदी की गारंटी है, डंका बजने की।...
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
प्राब्लम यह नहीं है कि महुआ मोइत्रा की संसद की सदस्यता चली गयी है। प्राब्लम यह है कि महुआ मोइत्रा और वास्तव में सारे विपक्ष वाले पूरे मामले को ही गलत समझ रहे हैं। मोइत्रा चीख-चीखकर...