रायपुर (आदिनिवासी)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ‘बस्तर पंडुम’ कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मोदी सरकार बस्तर पंडुम को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाने के लिए यहाँ की समृद्ध परंपरा, संस्कृति और कला को विश्व पटल तक पहुँचाने का कार्य कर रही है। अगले वर्ष से यह उत्सव 12 श्रेणियों में मनाया जाएगा, जिसमें देशभर के आदिवासी कलाकार शामिल होंगे।
श्री अमित शाह ने कहा कि बस्तर अब नक्सलवाद का गढ़ नहीं, बल्कि विकास, विश्वास और विजय का प्रतीक बन चुका है। जहाँ कभी गोलियों की गूँज सुनाई देती थी, वहाँ अब स्कूलों की घंटियाँ बज रही हैं। जहाँ सड़कें बनाना एक सपना था, वहाँ अब राजमार्ग बन रहे हैं। नक्सली अब बस्तर के विकास को नहीं रोक सकते, क्योंकि यह क्षेत्र भय से मुक्त होकर भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव ने जनजातियों के जल, जंगल, जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उनकी लोकप्रियता तत्कालीन सरकार को स्वीकार नहीं हुई और साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई। श्री शाह ने कहा कि आज जब बस्तर लाल आतंक से मुक्ति की कगार पर है और विकास के पथ पर अग्रसर है, तब प्रवीर चंद्र जी की आत्मा बस्तरवासियों को आशीर्वाद दे रही होगी।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अगले साल से बस्तर पंडुम में देश के हर आदिवासी जिले के कलाकारों को शामिल किया जाएगा। सभी देशों के राजदूतों को बस्तर का भ्रमण करवाकर यहाँ की परंपरा, संस्कृति और कला को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई जाएगी। इस उत्सव में 1885 ग्राम पंचायतों, 12 नगर पंचायतों, 8 नगर परिषदों, एक नगरपालिका और 32 जनपदों के 47,000 कलाकारों ने हिस्सा लिया। जिला प्रशासन और संस्कृति विभाग ने इसके लिए 5 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। यह उत्सव स्थानीय कला, संस्कृति, शिल्पकला, तीज-त्योहार, खानपान, बोली, भाषा, रीति-रिवाज, वेशभूषा, आभूषण, पारंपरिक गीत-संगीत और व्यंजनों को संरक्षित और संवर्धित करेगा।
श्री शाह ने कहा कि हम चाहते हैं कि बस्तर का युवा आधुनिक शिक्षा प्राप्त करे, विश्व के युवाओं के साथ हर मंच पर प्रतिस्पर्धा करे और समृद्धि हासिल करे, लेकिन अपनी संस्कृति, भाषा और परंपराओं को कभी न भूले। बस्तर की संस्कृति, बोलियाँ, वाद्य यंत्र और भोजन न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे भारत की धरोहर हैं, जिन्हें हमें संजोकर रखना है।
उन्होंने नक्सलियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की। छत्तीसगढ़ सरकार ने घोषणा की है कि जो गाँव अपने सभी नक्सलियों को आत्मसमर्पण करवाएगा, उसे ‘नक्सलवाद मुक्त’ घोषित कर 1 करोड़ रुपये की विकास राशि दी जाएगी। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार मार्च 2026 तक पूरे देश को नक्सलवाद से मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि सुकमा से सब-इंस्पेक्टर, बस्तर से बैरिस्टर, दंतेवाड़ा से डॉक्टर और कांकेर से कलेक्टर बनें, ऐसा बस्तर हम गढ़ रहे हैं। विकास के सपनों को साकार करने के लिए सभी को निष्ठा और निडरता के साथ प्रयास करना चाहिए। मोदी जी के शासन में किसी को डरने की जरूरत नहीं है।
बस्तर अब विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहाँ शांति और समृद्धि का नया युग शुरू हो चुका है, जो नक्सलवाद के अंधेरे को हमेशा के लिए खत्म कर देगा।