कोरबा (आदिनिवासी)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में आदिवासी समुदाय ने अपने अधिकारों और जंगलों की रक्षा के लिए एक नया अध्याय शुरू किया है। सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सेवक राम मरावी ने एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता में सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और आदिवासी समुदाय के लिए न्याय की मांग की।
दशकों की उपेक्षा का परिणाम
मरावी ने कहा, “चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, हर सरकार ने हमारी अनदेखी की है। यहां तक कि हमारे आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी हमारी समस्याओं को हल करने में विफल रहे हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे प्रदेश स्तर पर एक बड़े आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
आदिवासी समुदाय की प्रमुख मांगें
1.हसदेव जंगल का संरक्षण: अवैध कटाई और कोयला खनन पर रोक लगाने की मांग।
2. भूमि अधिकारों की रक्षा: आदिवासियों की जमीन की खरीद-बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग।
3. हाथी-मानव संघर्ष का समाधान: फोरक जिले में हाथियों के हमलों से प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा।
4. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार: आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास।
5. पंचायतों को सशक्त बनाना: स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत करना।
डॉ. रमेश शर्मा, एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री, कहते हैं, “आदिवासी समुदाय की मांगें न केवल वैध हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ के समग्र विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। सरकार को इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।”
आगे की राह
यह स्पष्ट है कि आदिवासी समुदाय अब अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो रहा है। सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वह इन मांगों को कैसे संबोधित करती है। एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो आदिवासियों के हितों की रक्षा करे और साथ ही प्रदेश के विकास को भी सुनिश्चित करे।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इन मांगों पर कोई ठोस कदम उठाती है या फिर क्या आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होता है। छत्तीसगढ़ के भविष्य के लिए यह एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।