शनिवार, सितम्बर 28, 2024

कोरबा जिला जमीन घोटाला: ग्रामीणों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग, प्रशासन पर गंभीर आरोप!

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कोरबा (आदिनिवासी)। कोरबा जिले के ग्राम बंजारी में भूमि घोटाले को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है। उनका आरोप है कि राजस्व अधिकारियों और बाहरी व्यक्तियों की मिलीभगत से उनकी जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है। यह घटना न केवल भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर पेश करती है, बल्कि ग्रामीण भूमि अधिकारों के हनन का भी सजीव उदाहरण है।
चौंकाने वाला खुलासा
ग्राम बंजारी, जो कोरबा जिले के बरपाली तहसील में स्थित है, के निवासियों ने एक कथित घोटाले का पर्दाफाश किया है। ग्रामीणों का कहना है कि सुमन कल्याण भारती नामक व्यक्ति ने राजस्व विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर गाँव की महत्वपूर्ण जमीन अपने नाम करवा ली है। जिन खसरों में यह जमीन दर्ज है, उनमें खसरा नंबर 6, 18, 23, और 78/1 शामिल हैं, जो पहले छोटे और बड़े जंगल की श्रेणी में आती थी।

ग्रामीणों की चिंता और आरोप
गाँववालों का कहना है कि उनकी अधिकांश जमीन मड़वारानी पहाड़ के पास स्थित है, जो हमेशा से ही भूमि माफियाओं के निशाने पर रही है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सुमन कल्याण भारती, जो ग्राम पताड़ी का निवासी है, ने सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर कर इस जमीन को अपने नाम पर करवा लिया है।

सीमांकन विवाद और दावा
जब सीमांकन प्रक्रिया के दौरान ग्रामीणों ने सवाल उठाए, तो सुमन कल्याण भारती ने दावा किया कि उसे यह जमीन सरकार द्वारा पट्टे पर दी गई है। हालाँकि, ग्रामवासियों का कहना है कि सुमन न तो उनके गाँव का निवासी है और न ही उसके पास किसी तरह के वैध दस्तावेज मौजूद हैं।

रिकॉर्ड में भारी अनियमितताएँ
1995-96 और 1996-97 के सरकारी रिकॉर्ड की जाँच करने पर ग्रामीणों ने पाया कि विवादित भूमि को जंगल के रूप में दर्ज किया गया था। लेकिन 2012-13 में, यह भूमि सुमन कल्याण भारती के नाम पर दर्ज हो गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि 2000 से 2011 तक के रिकॉर्ड गायब हैं, जिससे यह साफ होता है कि इस घोटाले में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ की गई हैं।

फर्जी मुआवजे का गंभीर आरोप
ग्रामीणों ने एक और चौंकाने वाला आरोप लगाया है कि सुमन कल्याण भारती, जो पहले भी भूमि घोटाले के आरोप में जेल जा चुका है, अब राष्ट्रीय राजमार्ग 4 के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा हासिल करने की कोशिश कर रहा है। यह मुआवजा भी उसी अवैध रूप से कब्जाई गई जमीन के लिए माँगा जा रहा है, जो ग्रामीणों के नाम पर होनी चाहिए थी।

न्याय की मांग
ग्रामवासियों ने कोरबा के कलेक्टर से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। वे चाहते हैं कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और गाँव की जमीन को फिर से सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। साथ ही, सुमन कल्याण भारती द्वारा मुआवजा प्राप्त करने के सभी प्रयासों को भी रद्द किया जाए।

निष्पक्षता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी
यह घटना केवल एक सामान्य भूमि विवाद नहीं है, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार और ग्रामीण भूमि अधिकारों के हनन का गंभीर मामला है। यदि ग्रामीणों के आरोप सही हैं, तो यह घोटाला न केवल स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि हमारी भूमि प्रबंधन प्रणाली में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर देता है।
प्रशासन की जिम्मेदारी है कि इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच हो, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और ग्रामीणों के अधिकार सुरक्षित रहें। इसके अलावा, यह घटना एक चेतावनी भी है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पारदर्शी और मजबूत नीतियों की आवश्यकता है।
“यह मामला भूमि माफियाओं, प्रशासनिक भ्रष्टाचार और ग्रामीण समुदायों की संघर्षशील स्थिति को उजागर करता है। न्याय और पारदर्शिता की लड़ाई में ग्रामीणों की आवाज़ सुनी जानी चाहिए और दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”

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