बिलासपुर में करीब 6 करोड़ रुपए के कोयला हेराफेरी के मास्टर माइंड और उसके सहयोगियों को पुलिस ने जेल भेज दिया है, लेकिन बरामदगी को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। आरोपियों ने 5100 टन कोयले की हेराफेरी की थी, लेकिन पुलिस सिर्फ 2400 टन ही बरामद कर सकी है। ऐसे में पुलिस की कार्रवाई को लेकर संदेह खड़ा हो गया है। हालांकि दावा किया जा रहा है कि आरोपियों ने कोयला बेचकर उससे प्रॉपर्टी खरीद ली है। फिर भी पुलिस ने इस मामले में आरोपियों की संपत्ति की जांच नहीं की है।
तिफरा के यदुनंदन नगर निवासी ट्रांसर्पोटर केपी पयासी ने कोयला अफरा-तफरी मामले में कोयला व्यापारी दीपक सिंह, राजू सिंह व मुरारी सोनी के खिलाफ केस दर्ज कराया था। पुलिस ने राजू सिंह के बड़े भाई अजय सिंह के हरदी स्थित कोल प्लाट में छापा मारा और उसके पिता रामजीत सिंह को गिरफ्तार कर 1800 टन कोयला जब्त किया। दीपक सिंह ने ट्रांसपोर्टर केपी पयासी व उनके मुंहबोले जीजा ब्रजेश सिंह को झांसे में लेकर करोड़ों की ठगी की है। उन्हें इसकी जानकारी तब हुई जब 5100 टन कोयला ओडिशा और झारखंड नहीं पहुंचा।
गायत्री रोड कैरियर्स को मिला था ट्रांसपोर्टिंग का काम
दरअसल, ओडिशा झारखंड स्थित रुंगटा माइंस लिमिटेड को 37000 टन कोयला भेजने के लिए बिलासपुर के गायत्री रोड कैरियर्स को ट्रांसपोर्टिंग का काम मिला था। केपी पयासी इस ट्रांसपोर्ट के संचालक हैं और उनके पास कोयला भेजने का डिपो था। इसमें बृजेश सिंह ने भी रुपए लगाया था। बृजेश के साथ राजू सिंह व दीपक सिंह सहयोगी थे। कोरबा खदान से झारखंड के लिए कोयला भेजा जाता रहा और कोयला बीच से ही गायब होता रहा। सिर्फ 9 टन कोयला ही पहुंचा। जानकारी मिलने पर केपी पयासी व बृजेश सिंह ने अपने स्तर पर छानबीन की तब पता चला कि राजू सिंह व दीपक सिंह ने मिलकर करीब 6 करोड़ रुपए की 5100 टन कोयले की हेराफेरी की है। इसके बाद थाने में केस दर्ज कराया गया।
दीपक सिंह व राजू सिंह के कब्जे से पुलिस ने केवल 2400 टन कोयला बरामद किया है। इसमें भी जीरा गिट्टी व पत्थर मिला हुआ है। 2700 टन और बरामद करना बाकी था। लेकिन, पुलिस ने इसमें ध्यान ही नहीं दिया। करीब 2 करोड़ 16 लाख का कोयला अभी भी गायब है। आरोप है कि पुलिस ने इसकी बरामदगी करने का प्रयास ही नहीं किया और मास्टरमाइंड दीपक से मिलीभगत कर लिया।
मास्टर माइंड दीपक सिंह को पुलिस नहीं, बृजेश ने पकड़वाया
पुलिस पर आरोप है कि न तो मुख्य आरोपी दीपक सिंह की तलाश की और न ही पकड़े जाने के बाद सही तरीके से उससे पूछताछ की गई। पुलिस ने उसे जेल भेजकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। बृजेश सिंह का आरोप है कि उन्होंने फरार दीपक सिंह की तलाश की और पुलिस को सूचना दी। वह अपने ससुराल में छिपा हुआ था, तब वे खुद पीछा करते हुए उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के छपरा गोनिया गांव स्थित उसके ससुराल पहुंचे थे, जहां वह छिपा था। फिर पुलिस को बुलाकर उसे पकड़वाया। पकड़े जाने के बाद गायब कोयला बरामद करने के लिए पुलिस ने कोई प्रयास नहीं किया।
सहयोगी राजू सिंह ने बताया था दीपक के पास है कोयला
पुलिस ने राजू सिंह को पकड़ने के बाद उसके कब्जे से एक हजार टन कोयला जब्त किया। पूछताछ में राजू सिंह ने बताया था कि बाकी का कोयला दीपक सिंह के पास मिलेगा। पुलिस ने भी उस समय केपी पयासी को भरोसा दिलाया था कि दीपक सिंह के पकड़े जाने पर बाकी के कोयले की बरामदगी की जाएगी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।
खुद के डिपो में खपाया कोयला
राजू सिंह ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि पूरा कोयला दीपक सिंह ने ही बेचा था। उसने सिर्फ उसकी मदद की थी। लोखंडी, बेलमुंडी, सहित बिल्हा, भोजपुरी टोल प्लाजा,चकरभाठा के डिपो में इन्हें बेचा गया था। लेकिन, पुलिस ने कहीं भी छापे नहीं मारे। लोखंडी में दीपक का खुद का भी डिपो हैं, यहां से 1400 टन कोयला बरामद किया गया। इसमें भी सिर्फ 300 टन ही कोयला था बाकी जीरा गिट्टी व पत्थर थे। स्पष्ट है कि दीपक सिंह अपने डिपो के माध्यम से कोयले की अफरातफरी कर रहा था।
संपत्ति की नहीं कराई जांच
बृजेश सिंह का यह भी आरोप है कि मुख्य आरोपी दीपक सिंह की पत्नी रीमा सिंह और साले चंदन उर्फ रजनीश सिंह के नाम पर ट्रक और ट्रेलर लेकर कोयले की ट्रांसपोर्टिंग की है। लेकिन, पुलिस ने उस दिशा में जांच ही नहीं की। यही नहीं, दीपक सिंह ने अपने साले रजनीश सिंह के अल्का एवन्यु स्थित मकान के पास ही खुद के मकान खरीदने के लिए सौदा किया है। एक करोड़ 9 लाख रुपए में मकान का सौदा तय हुआ है। जिसमें 26 लाख रुपए का भुगतान दीपक सिंह ने किया है। इसमें भी उसने कोयले अफरातफरी करने का पैसा लगाने का आरोप लगाया है। उसके बताने के बाद भी पुलिस ने उनकी संपत्ति की जांच नहीं की।