गुरूवार, नवम्बर 21, 2024

हसदेव अरण्य को बचाने की लड़ाई: खनन मुक्त क्षेत्र घोषित करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Must Read

नई दिल्ली (आदिनिवासी)। हसदेव अरण्य को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की सिफारिश के अनुसार खनन मुक्त क्षेत्र घोषित करने और इसे संरक्षित रखने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक अहम जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और अडानी समूह की दो कंपनियों को नोटिस जारी किया है। यह याचिका छत्तीसगढ़ के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव द्वारा दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई है कि इस क्षेत्र को प्राकृतिक रूप से संरक्षित रखा जाए और खनन की गतिविधियों से मुक्त किया जाए।

परसा कोल ब्लॉक में खनन न करने की मांग

इस याचिका के तहत परसा कॉल ब्लॉक में खनन रोकने का अनुरोध किया गया है, जिसके तर्क में कहा गया है कि वर्तमान में चालू खदान से ही राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की कोयले की वार्षिक जरूरतें पूरी हो रही हैं। ऐसे में किसी नए खदान को खोलने की आवश्यकता नहीं है।

याचिकाकर्ता का तर्क: केंद्र ने घोषित किया था ‘नो-गो’ एरिया

अधिवक्ता प्रशांत भूषण और नेहा राठी ने याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने पहले ही इस क्षेत्र को ‘नो-गो’ एरिया घोषित किया था, लेकिन बाद में इसे खनन के लिए खोल दिया गया। यह क्षेत्र वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की सिफारिश के अनुसार खनन मुक्त होना चाहिए था, परंतु बावजूद इसके, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और अडानी समूह को यहां खदानों का आवंटन कर दिया गया।

चार लाख पेड़ कटने का खतरा

हसदेव अरण्य में खनन शुरू होने पर लगभग चार लाख पेड़ों की कटाई होगी, जो इस क्षेत्र के पर्यावरण और वन्यजीवों के लिए गंभीर संकट का कारण बनेगा। सुनवाई के दौरान, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नादकर्णी और अडानी समूह की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका की वैधता पर सवाल उठाए।

सुप्रीम कोर्ट का नोटिस: चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इस दौरान अदालत परसा खदान में खनन की आवश्यकता और उसकी पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण करेगी। इस मामले की आगे सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

राजस्थान और अडानी समूह के अनुबंधों पर सवाल

इस याचिका के साथ-साथ अंबिकापुर के अधिवक्ता दिनेश सोनी की याचिका भी लंबित है, जिसमें राजस्थान और अडानी समूह के बीच हुए अनुबंधों को गैरकानूनी करार दिया गया है। आरोप है कि राजस्थान अपने ही कोयले के लिए बाजार दर से अधिक कीमत चुका रहा है, और इसका अधिकतर मुनाफा अडानी समूह को मिल रहा है, जो सरकारी नीतियों के उद्देश्यों के खिलाफ है। इसके अलावा, राजस्थान सरकार द्वारा उत्पादन का 29% कोयला अडानी समूह को मुफ्त में देने को एक बड़ा घोटाला बताया गया है।

सरकार की नीतियों और कोर्ट के आदेशों के खिलाफ

याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले कॉल ब्लॉक घोटाले में ऐसे अनुबंधों को निरस्त कर दिया था। फिर भी, केंद्र सरकार ने पुराने अनुबंधों को जारी रखने की अनुमति दी है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों और नई सरकारी नीतियों के खिलाफ है।

हसदेव अरण्य का संरक्षण केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि न्यायिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी आवश्यक है। लाखों पेड़ों की सुरक्षा, वन्यजीवों का अस्तित्व, और स्थानीय आदिवासी समुदाय के जीवन और अधिकारों की रक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस दिशा में सही और टिकाऊ हो।

- Advertisement -
  • nimble technology
Latest News

बलौदाबाजार अग्निकांड: छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष दिलीप मिरी रायपुर से गिरफ्तार

कोरबा (आदिनिवासी)। बलौदाबाजार अग्निकांड, जिसे छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े प्रशासनिक विवादों में गिना जाता है, में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के...

More Articles Like This