"मानवीय शोषण का बढ़ता संकट: धर्म, कानून और राजनीति के जाल में फंसे समाज की गहरी सच्चाई, अन्याय और उससे मुक्ति के रास्तों पर विचारोत्तेजक विश्लेषण।"
मानव सभ्यता के लंबे इतिहास में शोषण कोई नया शब्द नहीं है। परंतु आज जब...
आज, जब हम महान क्रांतिकारी और विचारक शहीद भगत सिंह की 118वीं जयंती मना रहे हैं, यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या उनके सपनों का भारत बन पाया है? भगत सिंह ने जिस शोषण-मुक्त और न्यायपूर्ण समाज की...
भारत के अस्तित्व में आदिवासी समाज का स्थान सबसे प्राचीन, सबसे विशिष्ट और सबसे महत्वपूर्ण है। "आदिवासी" मात्र एक नाम नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक-सांस्कृतिक पहचान है, जो जल-जंगल-जमीन, श्रम, सामूहिकता और समानता की जीवनदृष्टि में निहित है। लेकिन दुखद...
पूरे 2 साल 4 महीने 10 दिन बाद देश के प्रधानमंत्री को मणिपुर की याद आई और 13 सितम्बर को वे पर्यटन करने, पीड़ा से कराहते, डरे सहमे और असुरक्षित नागरिकों के बीच जा पहुंचे। 3 मई 2023 को...
कोरबा (आदिनिवासी)। जिला पंचायत कोरबा की संचार तथा संकर्म समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक 19 सितंबर को होने जा रही है। यह बैठक दोपहर 12 बजे जिला पंचायत के सभा कक्ष में आयोजित की गई है। इस बैठक का...
कोरबा (आदिनिवासी)। जिले में लगातार हो रही भारी बारिश को देखते हुए कलेक्टर अजीत वसंत ने बाढ़ की स्थिति पर सतर्क निगरानी बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी एसडीएम सहित स्वास्थ्य, विद्युत एवं अन्य विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों...
छत्तीसगढ़ गोंडवाना गोंड महासभा ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को ज्ञापन सौंपकर तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई
🎖️गैर-आदिवासी बेनामी लेनदेन और आदिवासी महिलाओं से विवाह कर जमीनें हड़प रहे हैं।
🎖️आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए भी आदिवासी महिलाओं से...
रायपुर (आदिनिवासी)। कोण्डागांव जिले के मर्दापाल सेक्टर के पदेली स्कूलपारा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में करंट लगने से एक मासूम बच्ची की मौत हो गई। इस गंभीर घटना के बाद कलेक्टर श्रीमती नूपुर राशि पन्ना के निर्देश पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता...
कोरबा के पत्रकारों का संकल्प - जनहित की पत्रकारिता और निर्भीक सच की खोज
कोरबा (आदिनिवासी)। जब कलम में सच कहने का जुनून हो और दिल में जनता की सेवा का जज्बा हो, तो वह सिर्फ शब्द नहीं बल्कि बदलाव...
आज जब दुनिया विकास की नई ऊंचाइयों को छू रही है, तब एक सवाल बार-बार उठता है - क्या इस विकास की कीमत इंसान और इंसानियत चुका रहे हैं? कल-कारखानों से लेकर खेतों तक, दिन-रात पसीना बहाने वाले मजदूरों...