गुरूवार, नवम्बर 21, 2024

युद्ध में लापता 83 सैनिकों और रक्षाकर्मियों को पाकिस्तान से रिहाई का इंतजार, सुप्रीम कोर्ट कल करेगा याचिका पर सुनवाई

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युद्ध में लापता सैनिकों और रक्षाकर्मियों के मसले से जुड़ी उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शुक्रवार को सुनवाई करेगा, जिसमें जारी नोटिस के जवाब में सरकार ने माना ​​​​है कि 1965 और 1971 के युद्धों के कैदियों सहित कम से कम 83 लापता रक्षाकर्मी हैं, जो पाकिस्तान की हिरासत से अपनी रिहाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं. केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह खुलासा किया गया है. जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Y Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से दाखिल दस्तावेज के अनुसार केंद्र ने 8 मार्च, 2021 को पाकिस्तान सरकार को 83 रक्षा कर्मियों की एक सूची भेजी थी, जिसमें उनकी रिहाई की मांग की गई थी. हलफनामे में 83 लापता भारतीय रक्षा कर्मियों की सूची संलग्न है.

इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के माध्यम से जारी पत्र में कहा गया है कि सम्मानित मंत्रालय (पाकिस्तान के विदेश मामलों के) से इस मामले, उनके ठिकाने और लापता भारतीय रक्षा कर्मियों की शीघ्र रिहाई और प्रत्यावर्तन के लिए अनुरोध किया जाता है. रक्षा कर्मियों की सूची में शामिल 83 नामों में से 62 कर्मियों को युद्धबंदियों के रूप में गिना गया था, जिनमें से ज्यादातर 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति के दौरान दोनों देशों के बीच युद्ध से थे. इसमें 21 रक्षा कर्मियों को पाकिस्तान में बंदी माना गया और जो युद्ध के कैदी नहीं हैं.

1996 में कप्तान सहित पांच भारतीय सेना के जवान हो गए थे लापता

1996 में एक कप्तान सहित पांच भारतीय सेना के जवान लापता हो गए थे. 1997 में सेना के दो जवान फिर से लापता हो गए. उनमें से एक थे कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी, जिनको ढूंढने कि मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. संजीत गुजरात के कच्छ के रण में भारत-पाक सीमा पर गश्त कर रही एक पलटन का हिस्सा था. 19 अप्रैल, 1997 को कैप्टन संजीत लांस नायक राम बहादुर थापा के साथ लापता हो गए, जबकि प्लाटून के 15 अन्य लोग अपने शिविर में लौट आए. जिस दिन वह लापता हुआ उसी दिन कप्तान के परिवार को सूचित कर दिया गया था.

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