लखनऊ, पेट्रोल, डीजल, सीएनजी तथा गैस सिलेंडर के लगातार बढ़ते दामों के बाद अब उत्तर प्रदेश के लोगों को बिजली का झटका लगेगा। माना जा रहा है कि सरकार जून से बिजली महंगी कर सकती है। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से दस दिन में स्लैबवार टैरिफ प्रस्ताव मांगा है।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई को छोड़कर घरेलू सहित अन्य सभी श्रेणियों की बिजली दरें बढ़ सकती हैं। सरकार ने सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त में देने की घोषणा की थी, इसी कारण किसानों को राहत है। सरकार का बिजली विभाग में 6700 करोड़ रुपये के घाटे की भरपाई करने के लिए मौजूदा दरें बढ़ाने का प्रस्ताव है। भाजपा की दोबारा नई सरकार बनते ही उत्तराखंड में बिजली महंगी होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी बिजली की दरें बढऩे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। प्रदेश में सिंचाई छोड़कर घरेलू सहित अन्य सभी श्रेणियों की बिजली दरों में अब थोड़ी-बहुत बढ़ोत्तरी तय मानी जा रही है। बढ़ी हुई दरें जून से लागू हो सकती हैं।
18वीं विधानसभा के गठन के लिए मतदान खत्म होते ही बिजली कंपनियों के आठ मार्च को मौजूदा वित्तीय वर्ष 2022 -23 के लिए दाखिल 85,500 करोड़ रुपये एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) प्रस्ताव का अध्ययन कर विद्युत नियामक आयोग ने स्लैबवार टैरिफ प्रस्ताव मांगा था। प्रदेशवासियों को बिजली आपूर्ति के इस बार 65 हजार करोड़ रुपये से लगभग 1.20 लाख मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली खरीदी जानी है। मौजूदा बिजली दर से मिलने वाले राजस्व और खर्च का अनुमान लगाते हुए कंपनियों ने एआरआर में लगभग 6700 करोड़ रुपये का गैप बताया है। आयोग ने कंपनियों से गैप की बिना सब्सिडी भरपाई के लिए अलग-अलग श्रेणीवार बिजली की प्रस्तावित दरों का विस्तृत ब्योरा मांगा है। आयोग ने प्रस्ताव में और भी कमियां गिनाते हुए कंपनियों से दस दिन में उन सब पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।