शनिवार, जुलाई 27, 2024

राज्य सूचना आयुक्त धनवेंद्र जायसवाल एक्शन मूड में

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कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त धनवेंद्र जायसवाल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करने और समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराने वाले चार जनसूचना अधिकारी पर पच्चीस हजार रूपए का अर्थदंड दिया है। संचालक पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को निर्देश दिए हैं कि अर्थदंड की राशि संबंधित अधिकारी से वसूली कर शासकीय कोष में जमा कराए। तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोरबा के विरूद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 (2) के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिये हैं।

सूचना का अधिकार के तहत समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराने वाले जनसूचना अधिकारी को पच्चीस हजार रूपए का अर्थदण्ड

मामला 25 जनवरी 2018 का है। रायगढ़ निवासी शरद देवांगन ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत शरद देवांगन ने कोरबा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (जन सूचना अधिकारी) से कोरबा में पदस्थ सहायक शिक्षक (पंचायत), शिक्षक(पंचायत) की सूची की सत्यापित छायाप्रति की मांग की थी, लेकिन समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद शरद ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को 28 फरवरी को आवेदन किया। इस आवेदन का भी कोई सकारात्मक जवाब नही आया। जिम्मेदार अफसरों की मनमानी से नाराज शरद ने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील की।

प्रथम अपीलीय अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश
राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने आवेदन का अवलोकन कर अधिनियम के तहत अपीलार्थी और जनसूचना अधिकारी को सुनने के पश्चात अपीलार्थी को समय सीमा में जानकारी नहीं प्रदाय करने एवं आयोग में कोई जबाब प्रस्तुत नहीं करने के साथ ही आयोग के पत्रों का कोई जवाब नहीं देने पर को गंभीरता से लेते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोरबा (तत्कालीन जनसूचना अधिकारी) जी आर बंजारे के विरूद्ध धारा 20 (1) के तहत 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड के साथ ही सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 (2) के तहत कोरबा कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ को कोरबा जनपद पंचायत के तत्कालीन सीईओ, वर्तमान जनसूचना अधिकारी जी आर बंजारे के वेतन/पेंशन से राशि की वसूली कर शासकीय कोष में जमा कराकर आयेग को सूचित करने का निर्देश दिये है। आयोग की इस करवाई से विभागों में हड़कंप मच गया है।

सूचना का अधिकार देश के भ्रष्टतंत्र को नियंत्रित करने और अधिकारियों में लालफीताशाही पर नकेल कसने कारगर पहल

सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार और अधिकारियों के कामकाज में सुधार लाने और पारदर्शिता लाने का एक सार्थक प्रयास है। सूचना का अधिकार देश में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और अधिकारियों में लालफीताशाही को नियंत्रित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए पदाधिकारियों का पदों के प्रति जवाबदेह होना जरूरी है। इस अधिनियम के माध्यम से ऐसी व्यवस्था की गई है जिसके अंतर्गत कोई भी नागरिक लोक प्राधिकारी के कार्यकलापों के संबंध में सूचना प्राप्त कर सके। यदि लोक सूचना अधिकारी द्वारा संबंधित को समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराई जाती है तो ऐसे अधिकारियों को, राज्य सरकार द्वारा गठित राज्य सूचना आयोग द्वारा दण्डित किया जा सकता है।


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